हर गांव बिजली पहुंचाने का प्रधानमंत्री का दावा सत्य से परे

प्रशांत रायचौधरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया कि देश के सभी गांव विद्युतीकृत कर दिये गए हैं। अब वे हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय कर रहे हैं। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद कई लोगों ने उनके दावे को चुनौती दी है। सरकार की परिभाषा के मुताबिक वे गांव विद्युतीकृत माने जाते हैं जहां बिजली के खंभे खड़े हों और उन पर लगे तारों में करंट दौड़ रहा हो। साथ ही गांव के 10 प्रतिशत मकानों और सार्वजनिक जगहों पर बिजली हो। दरअसल 15 अगस्त 2015 तक देश के 18452 ऐसे गांवों की पहचान की गई जहां बिजली नहीं पहुंची थी। बाद में इसमें 1275 और गांव जोड़े गए। प्रधानमंत्री ने एक हजार दिनों में इन गांवों में बिजली देने का वायदा किया था। दावा है यह वायदा समय से पहले 928 दिनों में ही पूरा कर लिया गया। ऐसे में भले ही हर घर में बिजली न पहुंची हो मगर बिजली उनकी पहुंच में जरूर आ गई है। आज भी देश के 25 राज्यों के 7.05 करोड़ घरों में बिजली नहीं पहुंची है। हरियाणा में हिसार से 9 किलोमीटर दूर धांसू के पास इंदिरा आवास कॉलोनी में 12 साल से बिजली नहीं है। यहां भी खम्भे हैं, ट्रांसफार्मर हैं लेकिन बिजली नहीं है। राजस्थान के कई गांवों में बिजली नहीं है।
छत्तीसगढ़ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य के 122 गांवों में अभी बिजली नहीं है। महाराष्ट्र में औरंगाबाद में 5 लाख परिवार, मराठवाड़ा में 35000 परिवार बिजली के इंतजार में हैं। हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी खंड के राजपुरा, दाबसु, कुदाना व टिक्कर पंचायत के कई गांवों को बिजली नसीब नहीं हुई है। कई लोगों के सवाल होंगे कि कैसे दावा किया जा रहा है कि देश के सभी गांवों में बिजली का उजाला फैल चुका है। जरूरत इस बात की है कि प्रधानमंत्री के दावे को सच साबित करने का संकल्प सरकार ले। साथ ही यह भी कि बिजली गांव-शहर वालों और गरीबों के लिए सस्ती व सुलभ हो। पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने सौर बिजली का अभियान छेड़ा था। यह प्रयोग दूरदराज के गांवों को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर भी बना सकता है। फिर पावर हाउसों में बिजली पैदा करके महंगे पावर ग्रिड व संचालन-प्रेषण पर नियंत्रण की समस्या से भी सरकारों को निजात मिलेगी। जिनके बजट का बड़ा हिस्सा बिजली की सब्सिडी और कर्ज उतारने में खर्च हो रहा है।