मानवीय और ईश्वरीय गुणों को अपने अन्दर विकसित करना ही योग है

योग शिक्षिका पूनम जोशी पाण्डे से सुष'राजनिधि' की बातचीत---
कम उम्र में ही योग में पारंगत पूनम जोशी पाण्डे समाज को स्वस्थ रखने का बीड़ा उठाए हुए हैं। वे योग की कक्षाऐं लेती है जिसमें बच्चे, जवान, बुजुर्ग यानी हर आयु के वर्ग के लोगों को वे योग सिखाती हैं।
प्र . योग में आपकी रूचि कैसे जागृत हुई ?
उ. ऐसा लगता है जैसे योग बचपन से ही भीतर बसा है.. योग करने वाले माता पिता मिले, गुरुजन मिले, शिक्षा मिली और योग सीखने, करने और कराने का सिलसिला चल पड़ा.
प्र. वैसे तो आपने साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है, फिर आप योग टीचर कैसे बनी?
उ. बायो टेक्नोलॉजी और योग दोनों में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. योग से पहले असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी भी रह चुकी हूँ. जब योग करना शुरू किया तो उसमे बहुत रूचि बढती गई और ईश्वर की कृपा से बायो टेक्नोलॉजी से योग में आने का सुयोग बन गया!
प्र. योग में आपकी शिक्षा कहाँ तक हुई?
उ. मैंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से सर्टिफिकेट कोर्स इन योग, पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन योग थेरेपी और एमएससी इन योग किया है. आगे योग में ही पीएचडी करने की भी तैयारी है.
प्र. योग क्या है? विस्तृत व्याख्या कीजिए?
उ. मेरा मत है मानवीय गुणों और ईश्वरीय गुणों को अपने अन्दर विकसित करना ही योग है. ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है. शास्त्रों में योग की अनेक व्याख्याएँ हैं – वेद के अनुसार “आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है”. गीता के अनुसार “प्रत्येक परिस्थिति में सम भाव में रहना ही उच्चयतम योग है” तथा “अपने कर्मों में कुशलता लाना ही योग है”.
प्र. आपकी योग ट्रेनिंग के बारे में बताइये.
उ. योग ट्रेनिंग में ॐ चैंटिंग, वार्म-अप, योगासन, प्राणायाम, ध्यान, आहार शिक्षा, व्यवहार शिक्षा, योग निद्रा, ऑटो सजेशन्स, पॉजिटिव थिंकिंग डेवलपमेंट इत्यादि का समावेश है. इसके अलावा लोगों को जरूरत के अनुसार काउंसलिंग भी दी जाती है.
प्र. योग जीवन में कितना जरूरी है? इसका जीवन में कितना महत्व है?
उ. योग से जीवन में आनंद प्राप्त होता है और आनंद सुख से भी बेहतर अनुभूति है. योग का महत्व योग अभ्यास करने से ही समझ में आता है. योग अभ्यास करने से शरीर के प्रत्येक सेल में सकारात्मक ऊर्जा बहने लगती है, नेगेटिव ब्लॉक्स विसर्जित हो जातें है, मोटापा कम होता है, हार्मोन बैलेंसिंग होती है, शरीर लचीला और शक्तिशाली बनता है, मन शांत एवं एकाग्र होता है, इम्यून सिस्टम मज़बूत हो जाता है, अवचेतन मन जागृत होने लगता है तथा शरीर, मन, बुद्धि और भावना में उचित तालमेल आने से चित्त हमेशा प्रसन्न रहता है.
प्र. आगे आप योग में क्या योगदान देना चाहती है? आपके योग को लेकर कोई मह्त्वकांक्षा क्या है.
उ. आख़री साँस तक ईश्वर को समर्पित होकर स्वयं भी योगमय जीवन बिताना चाहती हूँ और ज्यादा से ज्यादा लोगों को भी इस बात के लिए प्रेरित करना चाहती हूँ कि वे यौगिक जीवन शैली अपनाकर स्वस्थ और सुखी जीवन बिताएँ ताकि स्वस्थ और सकारात्मक समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सके.