प्रदेशवार्ता. मप्र में कैग की रिपोर्ट किसान विकास के दावों की पोल खोल रही हैं. किसानों के विकास मेंं खर्च होने वाले पैसों से अफसर लग्जरी गाडिया खरीद लाए. यही नहीं सरकार ने किसान कल्याण के लिए जो बजट पास किया था उसका भी पैसा खर्च नहीं किया गया. बाद में अतिरिक्त पूंजी का भी गलत खर्च दिखाया गया. कैग की रिपोर्ट खाद के भंडारण की निगरानी की भी पोल खोलती हैं.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में किसानों के सहकारी विकास के लिए 5.31 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। वहीं, अफसरों ने इसमें से 90% यानी 4.79 करोड़ रुपए लग्जरी गाड़ियां खरीदने में उड़ा दिए। यह बात गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट में सामने आई। कैग रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023-24 के बजट प्रबंधन में बरती लापरवाही भी सामने आई हैं. सरकार ने 3.72 लाख करोड़ का बजट पास किया, लेकिन खर्च के नाम पर सिर्फ 3.04 लाख करोड़ ही व्यय हुआ। इस तरह 67,926 करोड़ रुपए बिना खर्च हुए ही रह गए। इसके बावजूद सरकार ने दो सप्लीमेंट्री बजट के जरिए 57,963 करोड़ रुपए और मांगे, जबकि जरूरत केवल 28,885 करोड़ की थी। यानी 29,029 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया। 1,575 करोड़ रुपए का खर्च गलत तरीके से पूंजीगत खर्च में दिखाया गया। कैग की रिपोर्ट में में ये बात भी सामने आई की राज्य और जिला स्तर पर खाद के भंडारण की निगरानी अफसरों ने नहीं की. इस वजह से खाद भंडारण का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। भोपाल की अमरावत कला समिति में खाद के स्टॉक में गड़बड़ी पाई गई। इससे सरकार को 14 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। खाद का संकट मप्र में हमेशा बना रहता हैं. इसी संकट के बीच 2017 से 2022 के बीच किसानों को वह खाद नहीं मिली जिसकी उन्हें जरूरत थी। बल्कि, उन्हें वही खाद दी गई जो उपलब्ध थी। खाद में पोषक तत्वों का ध्यान नहीं रखा गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत सैंपलिंग का सही तरीके से पालन नहीं हुआ।
