प्रदेशवार्ता. शराब दुकान वालों के खिलाफ शिकायत आती है कि ये एमआरपी से अधिक कीमत वसूलते हैं. शिकायत जिला प्रशासन के पास भी पहुंचती है लेकिन होता कुछ नहीं. आबकारी विभाग का काम रहता है कि वो अधिक मूल्य पर शराब न बिकने दे लेकिन सांठगांठ के चलते औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं. लेकिन मप्र के एक कलेक्टर ने एक. एक दुकान के भावों की जांच करा ली. पता करा लिया कि कौन से दुकानदार अधिक पैसा वसूल रहे हैं.
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के नाम से ही निजी स्कूल संचालकों के पसीने छूट जाते हैं. कलेक्टर ने जब एक. एक स्कूल की जांच कराने के बाद अधिक फीस लेने पर जुर्माना ठोका तो इसकी हलचल पूरे मप्र में हो गई थी. कलेक्टर ने इस बार शराब दुकानदारों को अपने तरीके से घेरा हैं. कलेक्टर के पास शिकायत पहुंची थी कि शराब दुकान वाले तय रेट से अधिक पैसा ग्राहकों से वसूल रहे हैं. फिर क्या. कलेक्टर ने एक. एक दुकान की जांच कराने का निर्णय लिया. कलेक्टर सक्सेना ने इसके लिए हल्का पटवारियों की ड्यूटी लगाई कि वे अपने अपने क्षेत्र की दुकानों पर ग्राहक बनकर जाए, आनलाइन भुगतान कर बोतल खरीदे. फिर क्या था, एक. एक दुकान पर असल बेची जा रही कीमत की सूची जिला प्रशासन के पास पहुंच गई. कोई शराब दुकान वाला 60 रुपए ज्यादा ले रहा था, तो कोई 30 और 20 रुपए ज्यादा कीमत पर शराब बेचते धरा गया. अब इन सभी दुकानदारों पर आबकारी प्रावधानों के तहत कार्रवाई होने वाली हैं.
