प्रदेशवार्ता. मप्र के सतना जिले में एक प्राथमिक स्कूल का शिक्षक कलेक्टर की सनक का शिकार हो गया. सतना के कलेक्टर डा. सतीश कुमार की जनसुनवाई में प्राथमिक स्कूल शाला चांदमारी के हेडमास्टर जितेंद्र गर्ग पहुंचे थे. शिक्षक को उम्मीद थी कि कलेक्टर उनकी बात को सुनेंगे और परेशानी हल हो जाएगी. स्कूल में शौचालय नहीं है. बाउंड्रीवाल भी बनाई जाना हैं. परेशान शिक्षक ने कई बार शिक्षा विभाग के अफसरों को अवगत कराया. लेकिन अफसर तैयार फाइल पर कुंडली मारकर बैठे रहे. थक हारकर शिक्षक ने कलेक्टर के सामने परेशानी रखने की ठानी. पूरी तैयार फाइल लेकर गए थे ताकि उनके संज्ञान में आने के बाद स्कूल को शौचालय और बाउंड्रीवाल नसीब हो जाए. पर हुआ एकदम उल्टा. कलेक्टर ने शिक्षक का सुनते ही पहले खूब सुनाया और फिर निलंबित कर दिया. कलेक्टर की शिकायत थी कि शिक्षक स्कूल समय में जनसुनवाई में आ गए. कलेक्टर चाहते तो शिक्षा विभाग के अफसरों को तलब कर पूछते की इन्हें यहां आने की जरूरत ही क्यों पड गई..?, पूछते जिस काम की पूरी स्वीकृति हैं उसे क्यों लंबे समय से लटकाकर रखा जा रहा..? ऐसे कितने स्कूल ओर हैं, जिनमें स्वीकृति के बाद भी काम को अटका कर रखा गया हैं. अगर कलेक्टर ऐसा करते तो शिक्षा विभाग के नकारों की जंग खत्म होती. यूं, फाइल लटकाने की आदत में सुधार होता. लेकिन नहीं. कलेक्टर ने अन्य सभी को भी खामोश कर दिया. अब कोई भी काला चिट्ठा लेकर सामने नहीं आएगा. कलेक्टर का ये भी कहना था कि सक्षम अधिकारी से अनुमति नहीं ली. जो शिक्षा विभाग खुद सवालों में घिरा था क्या वो अपने शिक्षक को कलेक्टर से मिलने की अनुमति देता…? शिक्षक को जब दूसरे कामों में भिडाया जाता है तब पढाई प्रभावित होते नहीं दिखती. जनगणना, टीकाकरण, मतदान और गांवों में लगने वाले सरकारी शिविर. सभी काम में शिक्षक बुलाए जाते. एक नेक काम के लिए निकला शिक्षक कलेक्टर की सनक का शिकार हो गया.
