प्रदेशवार्ता. कुछ फैसले बेहद कठिन होते हैं. समाज, परिवार के उठते सवाल बाधा खडी करते हैं. एक सास के सामने भी बेहद कठिन सवाल समाने खडा था. सवाल तो उठे पर सास ने बता दिया कि बहू बेटी से कम नहीं थी. उसे बेटी ही माना. समाज की मान्यताओं के विपरीत जाकर बेटी के जीवन में खुशियां बिखेरी, उसके जीवन को बिखरने से बचाया.
ग्वालियर की विनीता चौबे ने अपनी छोटी बहू की दूसरी शादी कर समाज को एक सार्थक संदेश दिया. बेटे की मौत का गम भुलाकर बहू को अपनी बेटी की तरह रखा. मां की भूमिका निभाते हुए बहू की दूसरी शादी करवाई. ग्वालियर के हास्य कवि स्व. प्रदीप चौबे के दो बेटे थे. दुर्भाग्य से छोटे बेटे आभास का भोपाल में सडक हादसे में निधन सात साल पहले हो गया था. बेटे का गम पिता बर्दाश्त नहीं कर सके और कुछ दिन बाद ही प्रदीप चौबे का भी निधन हो गया. बेटे की मौत का सदमा मां विनीता चौबे को भी था. इसके साथ ही उन्हें छोटी बहू वर्षा की चिंता भी खाए जा रही थी. आखिरकार सास विनीता ने ठान लिया कि वो बेटी जैसी अपनी बहू का घर फिर से आबाद करेंगी. बहू को समझाया, बडे बेटे आकाश और बहू नेहा की भी सहमति ली. 11 मई को वर्षा का विवाह कानपुर के चेतन जैन से करवाया. शादी की खास बात यह रही की बडे बेटे और बहू ने वर्षा का कन्यादान किया. सास विनीत ने कहा अगर मेरे पति जीवित होते तो वो भी वर्षा की दूसरी शादी जरूर कराते, वो बहू तो थी, पर बेटी से कम नहीं.
