प्रदेशवार्ता. सतवास वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 10 में शनिवार को भीषण आग लग गई. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. भीषण आग की चपेट में जंगल का 20 हेक्टेयर क्षेत्र आ गया. करीब दस हजार पौधे लगे थे उनमें से हजारों पौधे जलकर खाक हो गए. आग ने पूरा मंजर बदल दिया. लहलहाते पौधों की जगह झुलसे और जले पौधे नजर आ रहे थे.
अधजले पौधों का ढेर अपने साथ कई सवाल खडे कर गया. हर साल पौधों की सुरक्षा के बडे. बडे दावे किए जाते हैं. लेकिन जंगल पर लगी आग पर समय रहते कंट्रोल नहीं होता. आग की लपटों में पौधारोपण भी दम तोड देता हैं. आग की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा जाता, कांटाफोड़ वन परिक्षेत्र में 10 दिन पहले आग लगी थी. लाखों रुपए के पौधे नष्ट हो गए थे.
कांटाफोड़ में आग की लपटों में पौधे झुलस गए थे, लेकिन विभाग के एसडीओ अपना अलग ही तर्क देते रहे, उनके अनुसार निंदाई के समय थाला बनाया गया था, इसलिए पौधे नहीं जले. जंगल की जो आग अपने पीछे उडती राख छोड जाती है उसमें भी एसडीओ कुतर्क करते रहे. जंगल के पास रहने वाले ग्रामीण वन विभाग के दावों की पोल खोल देते हैं. ग्रामीणों के अनुसार पौधारोपण के नाम पर विभाग लाखों रुपए खर्च करता है लेकिन परिणाम दो ही निकलते हैं, या तो पौधे भीषण गर्मी में सूख जाते हैं, या फिर जंगल की आग में जलकर नष्ट हो जाते. वन विभाग में वर्षों से अफसर एक जगह जमे हुए हैं. आग से बचाव की योजना भी यही बनाते हैं और आग लगने पर जांच भी इनके ही जिम्मे रहती हैं. नतीजा ये हो रहा कि लाखों रुपए का पौधारोपण हर साल अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाता.
इस संबंध में देवास जिले के डीएफओ अमित सिंह ने बताया कि सतवास मामले में संबंधित एसडीओ एस.एल. यादव को मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का प्रतिवेदन बनाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं कांटाफोड़ मामले की जांच संतोष शुक्ला को सौंपी गई है। दोनों ही मामलों में जांच के बाद जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
