क्राइम

सडक हादसे में मर गया था दिव्यांग, नौ माह बाद 51 लाख की पांच पालिसी ने बदल दी कहानी


प्रदेशवार्ता. आज से नौ माह पहले सडक हादसे में एक दिव्यांग की मौत हो गई थी. परिजन ने सडक हादसे की सूचना पुलिस को भी दी. पुलिस ने जांच की लेकिन हादसा करने वाला वाहन नहीं मिला. आखिरकार पुलिस ने हादसा मानकर फाइल बंद कर दी. अब नौ माह बाद पुलिस ने हादसे की थ्योरी सुलझा ली हैं. दिव्यांग के मौत की पटकथा एक्सिस बैंक पालिसी एडवाइजर ने लिखी थी. इसमें साथ दिव्यांग के भाई व अन्य ने दिया.
दरियाब जाटव 31 जुलाई 2024 को चंदौसी बाजार जाने की बात कहकर घर से निकला था। लेकिन सैनिक चौराहे से आटा जाने वाली सड़क पर करीब 150 मीटर दूर रात्रि दस बजे उसका शव पड़ा मिला। उस वक्त अज्ञात वाहन की टक्कर से उसकी मृत्यु होने की बात सामने आई थी। हादसे पर चंदौसी कोतवाली में 1 अगस्त 2024 को एफआईआर दर्ज कराई गई। ये मुकदमा बदायूं जिले थाना बिसौली क्षेत्र के गांव ढिलवारी निवासी राजेन्द्र ने दर्ज कराया था. पुलिस ने अज्ञात वाहन की तलाश की लेकिन वाहन का कोई पता नहीं चल सका। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर लगाते हुए फाइल बंद कर दी। मृतक दरियाब दिव्यांग था और कोई काम नहीं करता था. पुलिस तो केस बंद कर चुकी थी, लेकिन नौ माह बाद पुलिस के पास जानकारी पहुंची की मृतक दिव्यांग ने पांच पालिसी ले रखी थी, जिसका क्लेम 51 लाख रुपए का हैं. यहीं से पुलिस ने मामले को संदिग्ध मान जांच में ले लिया. पुलिस के सामने सवाल था कि वो पांच पालिसियों की किस्त कैसे चुकाता था…? पुलिस ने दिव्यांग के भाई हरिओम पर सख्ती की तो हत्या का खुलासा हो गया.
आरोपियों ने अपना गुनाह स्वीकार करते बता दिया कि हरिओम और विनोद चंदौसी स्थित एक्सिस बैंक लोन लेने के लिए पहुंचे थे। जहां उनकी बातचीत बैंक के पॉलिसी एडवाइजर पंकज राघव से हुई। लोन ना मिलने पाने की स्थिति में तीनों की बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो शातिर दिमाग पंकज राघव ने पॉलिसी हड़पने का घटिया प्लान तैयार किया और फिर योजनाबद्ध तरीके से वारदात को अंजाम दिया गया।
पुलिस ने दिव्यांग के भाई सहित तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया हैं. एक्सीस बैंक के एडवायजर ने सभी डॉक्युमेंट लेकर एक्सिस बैंक में खाता खुलवा दिया था. लेकिन पासबुक, चेकबुक और एटीएम कार्ड अपने पास रख लिए। राजेन्द्र के खाते में क्लेम के रूपये मांगवाए और निकाल लिए. पुलिस अब इनकी कुंडली खंगाल रही है ताकि पता चल सके कि फर्जी क्लेम का ये खेल कब से चल रहा है.

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