प्रदेशवार्ता. न लोकायुक्त जांच करेगी, न ही सीबीआई की याद आई. मंत्री के एक हजार करोड रुपए खाने की जांच विभाग का अफसर ही करेगा. वो अफसर जो मंत्री के सामने अपनी कुर्सी पर नहीं बैठ सकता, उसके कंधों पर लीपापोती की जिम्मेदारी रख दी गई. भ्रष्टाचार पर इतनी बडी. बडी बातों का ढोल इस तरह फूट जाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा था. देश में एक छोटे से मामले की जांच में ही सालों लग जाते हैं, यहां आदेश में ही लिख दिया कि सात दिन में जांचकर बताए. लिपापोती की एक नई मिसाल कायम की गई हैं.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग याने पीएचई में जो घोटाला सामने आ रहा है वो देश का सबसे बडा घोटाला साबित हो सकता हैं. विभाग की मंत्री संपतिया उईके सीधे. सीधे घिर रही हैं. आरोप है कि केंद्र सरकार ने जो जल जीवन मिशन योजना के तीस हजार करोड रुपए भेजे थे, उसमें मंत्री और अफसरों ने बंदरबाट कर ली. पीएमओ ने इस पर संज्ञान जरूर लिया, लेकिन बडी जांच नहीं बैठाई. सिर्फ राज्य सरकार को जांच करने को कहा गया, उसके बाद पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता के कांधों पर जांच की जिम्मेदारी रख दी गई. अब सवाल यह है कि जब संपतिया उईके अब भी उसी विभाग की मंत्री बनी हुई हैं, नैतिक आधार पर जांच होने तक के समय के लिए भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है तो जांच होगी कैसे….? क्या कोई अफसर अपने विभाग के मंत्री पर सवाल खडा कर सकता हैं…? जांच अधिकारी की अभी से हालत खराब है, उन्होंने कहा है कि इस मामले को समझना पडेगा, याने उन्हें अभी तक तो मामला ही समझ नहीं आया है, बाकि के छह दिनों में वे क्या जांच करेंगे ये अभी से साफ दिख रहा हैं. जो सरकार अपने अधिकारी. कर्मचारियों पर लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई के बाद भ्रष्टाचार पर बडी. बडी बाते करती थी, वो इस बात पर चुप है कि विभाग के मंत्री की जांच विभाग का अफसर कैसे करेगा. रेनकोट पहनकर बारिश में नहाना इस सरकार से सीखा जा सकता हैं.
