प्रदेशवार्ता. अंधविश्वास अब भी खत्म नहीं हो रहा हैं. इस अंधविश्वास की चपेट में अब अस्पताल भी आने लगे हैं. परिजन इलाज के लिए झाड फूंक करने वाले तांत्रिक को अस्पताल में ही बुला रहे हैं. ऐसे मामले सवाल खडे करते हैं. क्या ये सब करने की अनुमति अस्पताल में मिलनी चाहिए…? अधिकांश मामलों में सामने आता है कि पहले तो परिजन इलाज को लेकर लापरवाही दिखाते है, फिर जब मरीज जल्दी ठीक नहीं होता है तो वे झाड फूंक करने वालों के चक्कर में आ जाते हैं. ऐसे ही एक मामले के बाद अब सवाल उठ रहे हैं.
मप्र के सतना जिले के अमरपाटन स्थित सिविल अस्पताल का एक नजारा गंभीर चिंता पैदा करता हैं. एक युवती अस्पताल में भर्ती है तथा उसका इलाज एक झाड फूंक करने वाला कर रहा है, वो तल्लीनता से अपना काम कर रहा है, मरीज के परिजन का भरोसा भी उस पर दिख रहा हैं. युवती सुआ गांव की निवासी हैं. लंबे समय से बीमार चल रही हैं. दवाइयों से आराम न होता देख परिजन ने नया रास्ता खोजा. वे एक ओझा. सोखा को अस्पताल लेकर आ गए. अब वही हुआ, इलाज की जगह झाडफूंक शुरू हो गई. अस्पताल जैसी जगह पर ये सब किया जाता रहा. अस्पताल से जुडे लोग बताते है कि ये सब नया नहीं हैं. अंधविश्वास की जड इतनी गेहरी है कि आए दिन लोग अस्पताल में ही इलाज के नाम पर झाड फूंक करवाना शुरू कर देते हैं.
