प्रदेशवार्ता। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813 वें उर्स का झंडा शनिवार शाम दरगाह के बुलंद दरवाजे पर असर के बाद चढ़ाया गया. भीलवाड़ा के गौरी परिवार ने यह रस्म अदा करी. उर्स विधिवत रूप से रजब का चांद 1 या 2 जनवरी को दिखाई देने पर शुरू होगा। शनिवार को परम्परानुसार ढोल-ताशे के बीच दरगाह गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस निकला.. शाही कव्वाल कलाम पेश करते चल रहे थे. जुलूस में सबसे आगे कलंदर और मलंग हैरतअंगेज करतब दिखाते चल रहे थे. पुलिस के बैंडवादक सूफीयाना कलाम पेश करते हुए चल रहे थे. बडे पीर साहब की पहाडी से लगातार तोप के गोले दागे जा रहे थे. उर्स का झंडा विभिन्न मार्गों से होकर निजाम गेट, शाहजहांनी गेट होते हुए बुलंद दरवाजे तक पहुंचा. गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के फखरूद्दीन और उनके परिवार के लोगों ने झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करी. झंड़ा चढ़ाने की रस्म के साथ उर्स की औपचारिक शुरुआत हो गई. इस दौरान 25 तोपों की सलामी दी गई. जुलूस दरगाह गेस्ट हाउस से शुरू होकर लंगरखाना गली व निजाम गेट होते हुए बुलंद दरवाजा तक पहुंचा. इस साल उर्स में 1.50 से 2.50 लाख जायरीन के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है.
अजमेर में बनता है झंडा..
उर्स का झंडा अजमेर में ही तैयार किया जाता है। पुष्कर रोड अद्वैत आश्रम स्थित ओमप्रकाश वर्मा और उनके पुत्र सुभाषचंद्र का परिवार 70 साल से झंडा तैयार कर रहे हैं। पहले ओमप्रकाश के पिता गणपतलाल फलोदिया झंडे की सिलाई करते थे।
