प्रदेशवार्ता. मप्र में आदिवासी छात्रवासों के लिए खरीदी में गडबडी सामने आई हैं. इस गडबडी के चलते खरीदी में गुणवत्ता को नहीं देखा गया, सब कुछ मन मुताबिक काम किया गया. प्रशासन ने जांच कराई तो घपला खुल गया. जांच में डिप्टी कलेक्टर दोषी पाए गए. जांच प्रतिवेदन के आधार पर संभायुक्त ने गुरुवार को डिप्टी कलेक्टर को निलंबित कर दिया.
मप्र के दमोह जिले में गुरुवार को बडी कार्रवाई हुई. दमोह के 32 आदिवासी छात्रावासों के लिए सामग्री तो खरीदी गई लेकिन इस खरीदी में नियमों का पालन नहीं किया गया. ये खरीदी इसी साल अप्रैल में की गई थी. डिप्टी कलेक्टर ब्रजेश सिंह तब विभाग के प्रभारी जिला संयोजक थे. खरीदी की जांच में सामने आया कि मप्र भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम 2022 के नियम 17/4 का पालन नहीं किया गया. खरीदी की कार्रवाई गोपनीय रखी गई व ई. पोर्टल पर भी ब्योरा नहीं दिया गया. शासन का नियम है कि खरीदी की जानकारी सात दिन में ई. पोर्टल पर देना होती हैं. बिना निरीक्षण और गुणवत्ता की इस खरीदी को मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन माना गया. इस आधार पर डिप्टी कलेक्टर ब्रजेशसिंह को दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर की जांच रिपोर्ट और उसमें की गई अनुशंसा के आधार पर गुरुवार को संभाग आयुक्त अनिल सुचारी ने निलंबित कर दिया.











