प्रदेशवार्ता. सरकारी नौकरी पाने के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा लगातार फर्जीवाडे की शिकार हो रही हैं. डमी कैंडिडेट बैठाकर परीक्षा पास कराने के भी कई मामले सामने आए लेकिन शायद ही कोई अफसर डमी कैंडिडेट बना हो, लेकिन देश में ये मिथक भी आखिरकार टूट ही गया. ये मिथक तोडा है राजस्थान के एक अफसर ने. एसडीएम हनुमान राम ने डमी कैंडिडेट बनकर नरपतराम की जगह एसआई भर्ती परीक्षा दी थी. जोधपुर रेंज पुलिस ने तीन दिन पहले एसआई भर्ती मामले में नरपतराम उम्र 29 और उसकी पत्नी इंद्रा उम्र 27 साल को गिरफ्तार कर एसओजी को सौंपा था. पूछताछ में दोनों ने एसडीएम हनुमान राम का नाम लिया था. पूछताछ में ये सामने आया था कि इनकी एसडीएम से मिलीभगत थी. इसके बाद एसडीएम हनुमान राम को गिरफ्तार कर लिया गया. एसडीएम बाडमेर जिले के बिसारणियां गांव के निवासी हैं हनुमान राम अपने दूसरे प्रयास में एसडीएम बने थे. वे 2016 से लगातार आरएएस की तैयारी कर रहे थे, तब जाकर सन् 2021 में 22वीं रैंक हासिल कर अफसर बने. पूरे फर्जीवाडे का खुलासा डमी कैंडिडेट बैठाकर एसआई परीक्षा में पास हुई हरखू जाट के पकडाने के बाद हुआ. हरखू जाट तक एसओजी पहुंची थी. जब सख्ती से पूछताछ शुरू हुई घपले की कडी दर कडी परते खुलने लगी. हरखू जाट ने पकडे जाने के बाद नरपतराम और उसकी पत्नी इंद्रा का नाम लिया. हरखू ने बताया कि उसकी और इंद्रा की मुलाकात एक लाइब्रेरी में हुई थी. इंद्रा की पढाई लिखाई से प्रभावित होकर हरखू ने इंद्रा को आफर किया कि वो उसकी जगह एग्जाम में बैठे. इसके लिए हरखू ने इंद्रा के पति नरपतराम को 15 लाख रुपए भी दिए. इसके बाद हरखू की जगह डमी कैंडिडेट के रूप में इंद्रा ने पेपर दिया. रिजल्ट आया तो हरखू पास हो चुकी थी. इसके बाद हरखू अंतिम रूप से चयनित होकर प्लाटून कमांडर बन गई. हालाकि ये अजब संयोग रहा कि एसआई की परीक्षा इंद्रा ने भी दी थी, लेकिन खुद फेल हो गई थी. तीन दिन पहले जोधपुर पुलिस ने पति. पत्नी कौ गिरफ्तार कर लिया था.
