प्रदेशवार्ता. आठ साल पहले मंदसौर में किसानों पर पुलिस ने गोलियां चला दी थी. इस गोलीकांड का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया हैं. रतलाम के पूर्व विधायक पारस सखलेचा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा गया है. पहले याचिका हाईकोर्ट में लगी लेकिन कोर्ट ने पुराना मामला होने का हवाला देकर उसे निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट इंदौर के न्यायाधीश विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी ने 14 अक्तूबर 2024 को खारिज करते हुए कहा कि घटना को 6-7 साल हो जाने पर उसकी रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। इसके बाद सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. शीर्ष अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लिया और अब राज्य सरकार से जवाब मांगा हैं.
छह जून 2017 को मंदसौर के पिपलिया मंडी में पार्श्वनाथ चौपाटी पर किसान आंदोलन कर रहे थे. इस आंदोलन ने उग्र रूप लिया तो पुलिस ने गोलियां चला दी. पुलिस की गोली लगने से पांच किसान की मृत्यु हो गई थी। सरकार ने गोलीकांड की विस्तृत जांच के लिए जैन आयोग का गठन किया था। जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश की थी, पर जैन आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के सूचना पटल पर नहीं रखी जाने पर पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने आपत्ति ली और हाईकोर्ट में सीबीआई जांच करवाने व जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर तीन मई 2022 हाईकोर्ट (इंदौर) खंडपीठ में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की तो सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
