प्रदेशवार्ता. किसानों की बात न सुनी जा रही है और न ही समझी जा रही. इंदौर. बुधनी रेल परियोजना के लिए किसानों की उपजाऊ भूमि भी अधिग्रहित कर ली गई. किसानों ने इसके विरोध में अपनी बात रखी लेकिन भूमि अधिग्रहण की जल्दबाजी इतनी थी कि बात सुनी नहीं गई. कोई रास्ता नहीं दिखा तो किसानों ने अब भूख हडताल शुरू कर दी हैं. दो दिन बीत गए किसान भूख हडताल पर हैं. एक अन्न का दाना भी नहीं खाया, केवल पानी पर जीवन चल रहा हैं. किसानों के प्रति असंवेदनशीलता दिखाई जा रही हैं.
भूमि अधिग्रहण के विरोध में अन्नदाताओं के अनशन से प्रशासन भी मुंह फेरकर बैठा हैं.
प्रशासन ने नही ली सुध. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र की कन्नौद तहसील के ग्राम कलवार में इंदौर बुधनी रेल लाइन परियोजना में उपजाऊ भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों का अनशन दूसरे दिन भी जारी है। अनशन करने वाले किसान रवि मीणा, मुंशी पठान, रामहेत सीरा,भूरू पठान, लेखराज झाला, संतोष छानवाल हैं। लगातार दो दिनों से किसान भूखे बैठे हैं, सिर्फ पानी से जिंदा है। एक तरफ तो सरकार खुद को किसान हितैषी बताती हैं, वही दूसरी तरफ किसानों की उपजाऊ भूमि छीनकर उन्हें भूमिहीन किया जा रहा है।
अनशन पर बैठे किसान रवि मीणा एवं मुंशी पठान ने संयुक्त रूप से बताया कि एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री देश के किसानों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि रेल लाइन परियोजना में सर्वप्रथम शासकीय, पड़ती, बंजर, पठारी एवम वन भूमि के समीप कम उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण या उपयोग किया जाएगा। तो फिर आपकी सरकार में बैठे अधिकारी, कर्मचारी, संस्था, संगठन आपकी बातों को क्यों नही मानते हैं।
सभी नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से भूमि अधिग्रहण क्यों किया जा रहा है। आप हमे स्पष्ट रूप से यह बता दीजिए कि देश आपके द्वारा बनाई गई नीतियों से चलेगा या अधिकारी कर्मचारी की मनमानी से।
जब आपकी सरकार में बैठे प्रशासनिक अधिकारी आपकी बातों का पालन नहीं कर रहे हैं तो, हम अधिकारियों के कहने पर पूर्वजों की जमीन जायदाद क्यों दें। ये कृषि भूमि हमारे पूर्वजों ने कई वर्षों के संघर्ष के बाद प्राप्त की है। उन्होंने इसे हमें हमारे जीवन यापन के लिए दी है, जिसको हमारी आने वाली पीढ़ी को पूर्वजों की धरोहर के रूप में सौपना है।
दूसरे दिन शनिवार को धरना अनशन स्थल पर कलवार घाट से कालापाठा घाट तक के किसान मनीषा मीणा, रीना बाई, गीताबाई भाटी, हसीना खान, सोदरा बाई, गीता बाई, मंजू बाई, अज्जू बाई, संजू बाई, आरती बाई, प्रभा बाई, गणेशी बाई, छमा बाई, बलवंत सिंह बावरा, अभिषेक पंचोली, राहुल भाटी, राजाराम जोनवाल, रेवाराम गोलवाल, मुकेश आदि सभी पीड़ित किसान उपस्थित रहें।
