प्रदेशवार्ता. ग्राम पंचायत में एक घंटे का सरकारी कार्यक्रम अपने भारी भरकम बिल के कारण चर्चा में आ गया हैं. जिस कार्यक्रम में कलेक्टर शामिल हुए थे, ग्राम पंचायत के कारकुंदे उसमें भी गडबड करने से नहीं घबराए. कलेक्टर ने चाहे काजू. बादाम न खाए हो लेकिन भारी भरकम बिल तो बना दिया गया. बिल में जो रेट लगाए गए वे भी बाजार दर से ज्यादा हैं. अब ये बिल चर्चा में आ गया हैं. ये बिल सरकारी फिजुलखर्ची पर भी सवाल उठाता हैं.
मप्र का शहडोल इन दिनों चर्चा में हैं. दो सरकारी स्कूलों में पुताई के लिए लाखों रुपए खर्च करने व मजदूरों की पूरी एक पलटन पुताई के काम में लगाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया था. ये मामला अभी ठंड भी नहीं पडा था कि शहडोल जिले का एक सरकारी कार्यक्रम चर्चा में आ गया हैं. मामला जनपद पंचायत गोहपारू के ग्राम पंचायत भदवाही का है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत ग्राम पंचायत में आयोजित कार्यक्रम में जिले के वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे थे। लगभग 1 घंटे के कार्यक्रम में अधिकारी 14 किलो ड्रायफ्रूट्स खा गए. ड्रायफ्रूट्स की फेहरिस्त में 5 किलो काजू, 3 किलो किशमिस, 6 किलो बादाम मंगाया गया था. यही नहीं अफसर नमकीन के साथ बिस्किट खा गए व छह लीटर दूध व 5 किलो शक्कर की चाय पी गए। ग्राम पंचायत ने इसके एवज में लगभग 19 हजार रुपए का बिल लगाया है।
कार्यक्रम में कलेक्टर सहित अन्य अफसर शामिल हुए थे. सोशल मीडिया पर बिल के वायरल होने के बाद फिजुलखर्ची पर सवाल उठा रहे हैं. लोगों का कहना है कि जल गंगा संवर्धन के नाम पर ऐसी फिजुलखर्ची नहीं होना चाहिए. वहीं कुछ ने 19 हजार रुपए के बिल पर ये कहते हुए सवाल उठाए कि सामग्री की इतनी अधिक कीमत क्यों लगाई गई.
