मीठा तालाब याने अतीत का रेवा सागर. सीनियर रियासत की कभी शान और खास पहचान था. आज मीठा तालाब उपेक्षा झेल रहा है. तालाब को पालिथीन, फेंकी गई पूजा सामग्री और जलकुंभी का प्रदूषण चारों तरफ से घेरकर बैठा है. तालाब के घाट पर पालिथीन के ढेर लगे है. पूरा घाट और उसके आसपास का क्षेत्र पालिथीन और दूसरे कचरे से घिरा हुआ हैं. इतनी लंबी झील अगर किसी और शहर में होती तो ये उस शहर का मान और पहचान बन जाती. ऐसा विकास होता कि आसपास के क्षेत्रों से लोग घूमने आते और दूसरे लोगों को भी जाने के लिए प्रेरित करते, लेकिन अफसोस इतना खुबसूरत नजारा हमारे देवास में मौजूद है और हमेशा की तरह हम उदासीन और सुस्त है. देवास शहर से लोग इंदौर में कृतिम झील के नजारे देखने डिजनी लेंड और अन्य जगह बडी संख्या में जाते हैं, अगर मीठा तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाता तो इसकी रंगत और पहचान अलग ही होती. तालाब में खिलते कमल के फूल इसके सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं. यहां लाल कमल के फूल लगे हुए हैं जो बहुत ही सुंदर लगते हैं. वर्तमान में एबी रोड वाले तालाब के हिस्से को जलकुंभी हजम कर गई है, जो इसे प्रदूषित करने के साथ ही जलीय जीवों के लिए भी नुकसानदायक है.
रीति रिवाजों का केंद्र..
लोग फिर भी लापरवाह…
मीठा तालाब रीति रिवाजों को पूरा करने की जगह भी है. हर साल छठ पूजा पर मीठा तालाब पर बडा आयोजन होता है. अगली छट पूजा का समय भी जल्द आने वाला है. इसके अलावा लोग गणेशोत्सव और नवरात्रि के समय भी बडी संख्या में पहुंचते है. तालाब आस्था से जुडा है और अगर आने वाले लोग बेरूखी न दिखाए तो तालाब पालिथीन और पूजा सामग्री के कचरे से मेहफूज रह सकता है. हमें समझना होगा कि तालाब के अंदर जलीय जीवों की अपनी दुनिया है. पालिथीन को तालाब में बहाने से ये जलीय जीवन खतरे में हैं.