प्रदेशवार्ता. देवास जिले के खिवनी अभ्यारण में बाघों का कुनबा बड रहा हैं. अभ्यारण में दस बाघ हो गए हैं. जिनमें पांच वयस्क मादा व तीन वयस्क नर बाघ के साथ दो अवयस्क शावक भी शामिल हैं. इन बाघों की पहचान प्रोफाइल शीघ्र तैयार की जाएगी. बाघ के अलावा अभ्यारण में तेन्दुए भी रहते हैं. अन्य शिकारी प्राणी जंगली बिल्ली, गीदड़ और धारीदार लकड़बग्घे बंदर भी यहां मिलते हैं। शाकाहारी जातियों में नीलगाय, कृष्णमृग, चिंकारा और चीतल हैं।
रेंजर भीमसिंह सिसोदिया के अनुसार वन्यजीवों की गणना के लिए कैमरा ट्रेपिंग कार्य किया गया. जब समस्त कैमरा ट्रैप डाटा का विश्लेषण किया तो अभ्यारण्य के अधिकांश बीटों में बाघ तथा तेंदुओं का विचरण पाया गया. बाघ और तेंदुए के अलावा खिवनी अभ्यारणय में पैंगोलिन (चींटीखोर), एशियन पॉम सीवेट (बिज्जू), भालू, एशियन डेजर्ट फ़ॉक्स (लोमड़ी), दूध राज, नौरंगा आदि दुर्लभ वन्यजीव ट्रैप कैमरे में कैद हुए हैं. देवास जिले का खिवनी अभ्यारण 134.778 वर्ग किमी तक फैला हैं. अभ्यारण के करीब का नगर कन्नौद हैं. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं ग्लोबल टाइगर फोरम द्वारा यहां मौजूद संसाधनों का सर्वेक्षण व विश्लेषण कर इनका विकास किया जाएगा. खिवनी अभयारण्य बाघों का एक सुरक्षित आवास है जो कि बाघों के प्रजनन केन्द्र के रूप में काम करता आया है.
