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देवास बनेगा ईवी क्रांति का हब: 1850 करोड़ की ग्रेफाइट फैक्ट्री से बदलेगा स्वरूप

प्रदेशवार्ता. देवास जिले के सिरसोदा गांव में एचईजी लिमिटेड की सहायक कंपनी टीएसीसी लिमिटेड 1850 करोड़ रुपए के निवेश से देश की पहली बड़ी ग्रेफाइट एनोड फैक्ट्री लगा रही है। यह वही मैटीरियल है, जो लिथियम-आयन बैटरियों का मुख्य हिस्सा होती है और ईवी से लेकर एनर्जी स्टोरेज सिस्टम तक इस्तेमाल होती है। मंगलवार को एमपीआईडीसी उज्जैन के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौड़ ने निर्माणाधीन प्लांट का दौरा किया। इस दौरान कंपनी ने बताया कि फैक्ट्री फरवरी 2027 से उत्पादन शुरू करेगी। इसके जरिए नए रोजगार और सस्ते ईवी के साथ, मध्य प्रदेश देश के ईवी मार्केट का महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएगा। यह केवल औद्योगिक प्रगति नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा की नई शुरुआत है, जो हर घर तक पहुंचेगी।
अब प्रदेश में इस स्तर पर इसका उत्पादन होने से बैटरियों की कीमत घटेंगी और ट्रांसपोर्ट तथा आयात खर्च बचेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे ईवी बैटरियों की कीमतों में 10-12 प्रतिशत तक कमी आने की उम्मीद है। इसका दूरगामी परिणाम यह होगा कि दोपहिया और तीनपहिया ईवी वाहन सस्ते हो सकते हैं। वहीं बैटरी रिप्लेसमेंट और मेंटेनेंस की लागत भी घटेगी।
मंगलवार को प्लांट के निरीक्षण के दौरान श्री राठौड़ ने फैक्ट्री बिल्डिंग, मशीन फाउंडेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्क की प्रोग्रेस का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को तय समयसीमा व तकनीकी मानकों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। श्री राठौड़ ने निर्माण कार्यों में सस्टेनिबिलिटी और पर्यावरण सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। साथ ही साइट पर मौजूद वर्कर्स से बातचीत कर इंडस्ट्री की स्थापना से उनके जीवन में आए बदलावों पर चर्चा की। उनसे पूछा कि फैक्ट्री में काम शुरू करने के बाद उनकी जिंदगी में क्या बदला है। वर्कर्स ने बताया कि यहां आने के बाद उनकी कमाई पहले से दोगुनी हो गई है। रोज सीखने के नए मौके मिल रहे हैं, जिससे उनकी स्किल बढ़ रही है। कई वर्कर्स ने कहा कि इतने बड़े प्रोजेक्ट से जुड़ने पर अब उनमें एक अलग ही गौरव का भाव है। गांव-समाज में उनकी इज्जत और पहचान बढ़ी है। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है और भविष्य के प्रति भरोसा भी। विश्व प्रदूषण रोकथाम दिवस पर श्री राठौड़ और प्लांट के अधिकारियों ने परिसर में पौधारोपण भी किया, ताकि फैक्ट्री के साथ-साथ हरियाली भी बढ़े।
आरएंडडी प्लांट से बढ़ेगी गुणवत्ता……
प्लांट के साथ अत्याधुनिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) सेंटर भी स्थापित होगा। यहां बैटरी-ग्रेड ग्रेफाइट एनोड की गुणवत्ता सुधारने, नई कोटिंग तकनीक विकसित करने और सेल-मैकेनिज़्म की परफॉर्मेंस बढ़ाने पर काम होगा। टेस्टिंग लैब, मैटेरियल एनालिसिस यूनिट और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट लाइन के द्वारा देश में पहली बार ईवी बैटरी मटेरियल की स्थानीय रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी। मप्र ईवी टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनेगा।
हाईटेक जॉब के साथ उन्नति और समृद्धि की नई बयार..
देवास-उज्जैन औद्योगिक बेल्ट की इस फैक्ट्री से 1000 प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा और 1500 से 2000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर खुलेंगे। ऑपरेटर, इंजीनियर, लैब तकनीशियन और तकनीकी स्टाफ को काम मिलेगा। स्थानीय आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों में बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक ड्राइव और सेल इंजीनियरिंग के कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। युवा ईवी टेक्नोलॉजी सीखने को लालयित हैं। इसका मतलब है कि युवा हाई-टेक फैक्ट्री में अच्छे वेतन और स्किल्स के साथ घर के पास ही काम पा सकेंगे।
फैक्ट्री का अभी निर्माण कार्य ही चल रहा है, लेकिन सिरसोदा और आसपास के गांवों में बदलाव साफ नजर आने लगा है। जमीनों की मांग और दाम बढ़े, किसान अपनी जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए दे रहे हैं और स्थायी आय के नए रास्ते पा रहे हैं। सड़कें बेहतर हुई हैं, बिजली-पानी कनेक्शन बढ़े और छोटे व्यापारी नए व्यवसाय अवसरों का लाभ ले रहे हैं। यह फैक्ट्री देवास और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देगी।
बदल जाएगा औद्योगिक परिदृश्य…
एमपीआईडीसी उज्जैन के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौड़ का कहना है कि टीएसीसी लिमिटेड का यह निवेश मध्य प्रदेश के औद्योगिक परिदृश्य में मील का पत्थर साबित होगा। यह प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश को ईवी विनिर्माण का केंद्र बनाएगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और कौशल विकास के अपार अवसर भी लाएगा। इससे उज्जैन-देवास क्षेत्र की औद्योगिक तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। मध्य प्रदेश का सिंगल-विंडो सिस्टम, सस्ती जमीन, इंदौर-देवास-उज्जैन कॉरिडोर की बेहतर कनेक्टिविटी और लोकलाइजेशन फोकस पड़ोसी राज्यों को पीछे छोड़ रहा है।

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