प्रदेश

बेटी होश में आती तो एक ही बात कहती.. पापा मुझे घर ले चलो, अब बस यादों में है जिंदा

प्रदेशवार्ता. कफ सिरप की जहरीली खुराक ने 19 बच्चों की जिंदगी छीन ली. इन्हीं में एक बच्ची की मार्मिक कहानी भी हैं. बच्ची के आखिरी शब्द पापा मुझे घर ले चलो अब भी पिता के कान में गूंज रहे हैं.
मासूम का नाम है योजिता ठाकरे. कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने के बाद 22 दिनों तक वह अस्पताल में मौत से लड़ाई लड़ती रही। चार अक्टूबर को जिंदगी की जंग हार गई।
छिंदवाड़ा के बडकुही इलाके में रहते हैं सुशांत ठाकरे. एक निजी स्कूल में बच्चों को पढाते हैं. वायरल बुखार का सीजन चल रहा हैं. 8 सितंबर की शाम उनकी दो साल की बेटी योजिता को भी बुखार आया। जिस डाक्टर के पास बेटी को लेकर गए वो नहीं मिले तो डॉ.प्रवीण सोनी से इलाज कराया। डॉक्टर ने कुछ दवाइयां देकर कहा कि चार टाइम दवा देना, बच्ची ठीक हो जाएगी।
दवा लेकर घर को चले पिता को भी आभास नहीं था कि ये दवाई उनकी जिंदगी की खुशी छीनने वाली हैं. कफ सीरप पीने के अगले दिन ही योजिता की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उसने हरे रंग की उल्टियां कीं। सुशांत फिर से डॉक्टर सोनी के पास पहुंचे। इस बार डॉक्टर ने कहा कि बच्ची की किडनी में इंफेक्शन है, तुरंत नागपुर ले जाओ, यहां इलाज संभव नहीं।
नागपुर लेकर पहुंचे पिता ने रात में ही योजिता को नेल्सन हॉस्पिटल में भर्ती कराया. अगले 22 दिनों तक योजिता को 16 बार डायलिसिस पर रखा गया। हर गुजरते दिन के साथ पिता की उम्मीद और अस्पताल का बिल दोनों बढ़ते गए। बेटी के इलाज पर 22 दिन में ही 12 से 13 लाख रुपए का खर्च आ गया। एक प्राइवेट स्कूल के टीचर के लिए यह रकम पहाड़ जैसी थी। लेकिन सुशांत ने हार नहीं मानी। परिवार ने एफडी तोड़ दी, बहनों और ससुराल पक्ष ने मदद की। मुंबई के एक एनजीओ ने एक लाख रुपए भेजे। दोस्तों,पड़ोसियों और स्कूल के शिक्षकों ने भी आर्थिक सहयोग दिया। इसके अलावा सुशांत ने क्राउडफंडिंग शुरू की, ताकि बेटी का इलाज चलता रहे. जिंदगी की जंग लड रही योजिता हर बार जब आंखें खोलती तो पिता को बस यही कहती थी कि पापा घर ले चलो। इस शब्द पर पिता हर बार बेटी को हौसला देते और कहते की बस बेटा, जल्दी घर चलेंगे। आखिर में बेटी ने अस्पताल में जिंदगी की आखिरी सांस ली.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button