उज्जैन. मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के घाट भी साफ नहीं हो रहे. जंतर मंतर के करीब ही है गौघाट. कार्तिक पूर्णिमा पर इस घाट पर भक्तों की भीड थी. उज्जैन व आसपास जिलों से भी लोग आए थे. यहां आए भक्त घाट की गंदगी देख निराश हुए. गौघाट पर भक्त दीपदान, पूजन के लिए जुटे थे. घाट की क्या स्थिति थी… वो एक तस्वीर में ही साफ हो जाएगा.. पूरे घाट पर गंदगी और कचरा पडा था. सवाल यह है कि भक्तों का जुटना पहले से ही तय था उसके बाद भी घाट की साफ सफाई नहीं हुई. मप्र के मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव का शहर… वो शहर जहां मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सीएम का एक पैर शहर में ही रहता हैं. उज्जैन का हेलिपेड हर दम तैयार रहता है कि पता नहीं कब सीएम अपने होम टाउन आ जाए. अगर सीएम के रहते घाट ही साफ नहीं हो रहे तो अन्य शहरों में नदी के घाटों की क्या स्थिति होगी. आगे सिहस्थ है. सीएम अभी से सिंहस्थ आयोजन की रूपरेखा बना रहे हैं..अगर घाट ही साफ नहीं रहेंगे तो तैयारी पर सवाल तो उठेंगे. कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल उज्जैन में बडी संख्या में भक्त जुटते हैं. आस्था हिलोरे लेती हैं.. लेकिन सूबे के सीएम के शहर में घाटों की गंदगी और कचरा अखरता हैं. ऐसे में एक ही संदेश जाता है… अफसरशाही हावी है…!
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