क्या तुम्हारी माँ के किसी मुसलमान से रिश्ते थे। क्या तुम अपना हिंदुत्व भूल गए हो, क्या क्षत्रिय धर्म भूल गए हो??
जवाब दूं इसके पहले एक मजे की बात बताता हूँ।
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मजे की बात यह है, की पाकिस्तान वालों ने कभी पाकिस्तान मांगा नही था…
जी हां, जो आज का पाकिस्तान है, याने बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब, खैबर एजेंसी, और बंगाल की आम जनता ने पाकिस्तान नहीं मांगा था।
बल्कि बलूचिस्तान पर तो पाकिस्तान ने बाकायदा जबरिया कब्जा किया। केवल गिलगित- बाल्टिस्तान है, जिसने कश्मीर स्टेट से विद्रोह करके, पाकिस्तान से मिलने का प्रपोजल दिया था।
पर वह तो बंटवारा, हो जाने के बाद की बात है।
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इसके पहले,खैबर, सिंध और पंजाब जहां हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग की सरकारें थी, वहां की विधानसभा ने पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया था।
यह सदन में बैठे विधायकों का फैसला था। वहां गठबंधन सरकारें इसलिए बन गयी थी, की मुख्य धारा का दल कांग्रेस, पिछड़ गया था।
उसके वोट बंट गए, जिन्ना और सावरकर के मेल से सरकारें बनी। इन नालायक सरकारों ने पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया। तो इतिहास के विद्यार्थी जानते हैं, कि जहां जहां कांग्रेस पिछड़ी..
वो इलाका पाकिस्तान बना है।
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बहरहाल, जमीनी तौर पर पाकिस्तान के हिमायती उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग थे। यहां जीत कांग्रेस की हुई, मगर कोई 16 लाख वोट, मुस्लिम लीग को मिले थे।
ये वोट सिर्फ मुस्लिम एलीट के थे।
क्योकि वोटिंग राइट ही 4% एलीट लोगो को था। नवाब, राजें, टैक्सपेयर्स, यूनिवर्सिटी शिक्षित 25 वर्ष से ऊपर की उम्र वालो को वोटिंग राइट था।
गरीब गुरबे मुसलमान ने तो न लीग को वोट किया, न कभी पाकिस्तान मांगा।
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तो जिस भूभाग पर पाकिस्तान बना, वहां के मुसलमान पाकिस्तान नही मांग रहे थे। पर उनकी छाती पर बन ही गया, तो घर छोड़कर कहीं जाने का औचित्य न था। वे अपनी जगह बने रहे।
मगर यूपी, बिहार, बंगाल के पश्चिमी इलाके, और शेष भारत के मुसलमानो को विकल्प था, कि वह हिंदुस्तान में रहें, या पाकिस्तान जायें।
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यह ऐतिहासिक चयन है। यह हजारो सालों में कभी कभार ही खड़ा होने वाला सवाल है।एक समाज को, पूरी कौम को अपनी नेशनलिटी चुननी है। यह सवाल ऐतिहासिक था।
इसका जवाब उतना ही ऐतिहासिक था।
इन लोगो ने हिंदुस्तान चुना। भारत चुना,
भारत की मिट्टी चुनी।
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तो मुझसे अक्सर सवाल होता है कि मुसलमान के पक्ष में क्यो लिखते हो। क्या तुम्हारा पिता मुल्ला था। क्या तुम्हारी माँ के किसी मुसलमान से रिश्ते थे।
क्या मैं अपना हिंदुत्व भूल गया हूं??
क्या क्षत्रिय धर्म भूल गया हूं??
नही सर। याद है।
क्षत्रिय धर्म ही याद है। श्रीराम का वह गुण याद है, जिस बूते उन्हें शरणागत वत्सल कहा जाता है। फिर तो ये शरणार्थी नही, मोहाजिर नही। यह उनका अपना देश है।
जब मौका आया था, इनके पुरखो ने इस मिट्टी का चयन किया है। मुझपर, आप पर तो यह मिट्टी जन्म के हादसे से थोपी गयी। मुझे चयन करने, अपनी वफादारी साबित करने का मौका ही कहाँ मिला।
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इन्हें मिला था।
साबित तो इन्होंने किया है।
भारत, इन्होंने चुना है। मगर भारत मे यह आस्था, किसी गांधी के नाम और नेहरू की सरकार के भरोसे नही बनी थी।
यह किसी ऐसे पड़ोसी के बूते थी, जो उन्हें भरोसा दिला रहा था। तनकर कह रहा था कि मेरे रहते, तुम्हारा कुछ न बिगडेगा।
तो जिस गाँव, जिस शहर, जिस समुदाय में कोई मजबूत हिन्दू खड़ा होकर उन्हें आश्वस्त कर रहा था, सुरक्षित महसूस करा रहा था। वहां पर ही मुसलमान रुके।
आज तक रुके हैं।।
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और मैं उसी मजबूत हिन्दू की अगली पीढ़ी हूँ। जिसे अपने पुरखों के वचन का मान है।
जो उस वचन की गरिमा को डूबने नही देना चाहता। उस पुरखे को आज झूठा नही होने देना चाहता। तो सवाल गलत है आपका।
मेरा उत्तर यह है सर…
कि मेरा पिता मुल्ला नही था।
मेरा पिता, मेरे पुरखे, हिन्दू थे।✊🏼🚩✊🏼
और बड़े मजबूत हिन्दू थे।⚔️🛡️⚔️
🌸रिबोर्न मनीष✍️