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पत्नी अफसर है, मैं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, जब तक मुकदमा चले मुझे दिलाए गुजारा भत्ता

प्रदेशवार्ता. पति. पत्नी अब साथ नहीं रहते. पारिवारिक न्यायालय में केस चल रहा है, मामला विचाराधीन हैं. इसी बीच पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं. कोर्ट से मांग की है कि जब तक केस चले उसे पत्नी से गुजारा भत्ता दिलाया जाए तर्क दिया कि वो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, कमाई सीमित है, जबकि पत्नी एक अफसर हैं. कोर्ट में अब अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी.
पति. पत्नी का ये विवाद पहले भी खास सुर्खियां बटोर चुका हैं. ये विवाद यूपी के आलोक मौर्य और एसडीएम ज्योति मौर्य के बीच का हैं. ज्योति मोर्य ने इस विवाद के बाद अपना प्रयागराज वाला घर भी छोड दिया हैं. यहां अब किराएदार रहते हैं.
दोनों की शादी 2010 में हुई थी। शादी के समय आलोक पंचायती राज विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम करता था. शादी के बाद पत्नी ज्योति ने आगे पढना शुरू किया और कोचिंग भी ज्वाइन की. आखिरकार शादी के पांच साल बाद 2015 में उनका चयन यूपी-पीसीएस में हो गया।  इसी साल दो जुडवा बेटियों के जन्म के बाद खुशी दोहरी हो गई.
अगले पांच साल तक दोनों में कोई विवाद नहीं था, लेकिन साल 2020 खत्म होते.होते विवाद गहराने लगा. आलोक मौर्या ने आरोप लगाया कि 2020 में ज्योति की मुलाकात जिला कमांडेंट होमगार्ड मनीष दुबे से हुई। यही से पति. पत्नी में विवाद गहराने लगा. पति आलोक के अनुसार 2022 में एक बार ज्योति फेसबुक लॉगिन करके भूल गईं। जब चैट्स देखे तो शक हुआ। विरोध करने पर विवाद बढ़ा. आलोक ने दावा किया कि 22 दिसंबर 2022 को उन्होंने ज्योति और मनीष को लखनऊ के होटल मैरियट में साथ पकड़ा। जब उन्होंने आपत्ति जताई तो उन पर हमला किया गया और जान बचाकर भागना पड़ा।
पति. पत्नी अब अलग रहते हैं. मामला पारिवारिक न्यायलय में चल रहा हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में पति ने अर्जी लगाकर गुजारा भत्ता दिलाने की मांग रखी हैं. आलोक मौर्य का तर्क है कि पत्नी अफसर है, मैं कम कमाता हूं, आमदानी सीमित है. वैवाहिक विवाद का अंतिम निपटारा होने तक गुजारा भत्ता मांगा हैं. पति के गुजारा भत्ता मांगने पर पत्नी ज्योति मौर्य ने सवाल उठाए हैं. पूछा कि जब खुद सरकारी नौकरी में है तो किस बात का गुजारा चाहिए. ये भी कहा कि दोनों बेटियां मेरे साथ है तथा उन्हें में ही पढा रही हूं.

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