प्रदेशवार्ता. दुनियाभर में आत्महत्या के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग जिंदगी से हार मानकर मौत को गले लगा लेते हैं. हालांकि सुसाइड के बढ़ते केसेस को रोकने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. किशोर उम्र में धैर्य खोने और आत्महत्या करने के मामलों ने पालकों के लिए एक नई चिंता बडा दी हैं. देवास शहर में इसी साल दो नाबालिग बच्चों ने आत्महत्या की थी. कारण जान लोग भी हैरान रह गए. इन बच्चों से मोबाइल लेना भारी पड गया. मोबाइल की लत कितनी खतरनाक हो सकती है ये इन दो बच्चों के मामलों में देखा जा सकता हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। 15 से 29 वर्ष की उम्र में मृत्यु का यह चौथा सबसे बड़ा कारण है। 2023-2024 में भोपाल में 1120 मामले दर्ज किए गए।
काउंसलिंग से रोके जा सकते हैं मामले
आत्महत्या के मामलों को काउंसलिंग से रोका जा सकता है। लोग भीतर ही दबाव को बढ़ाते हैं और फिर निराशा में आकर ऐसे कदम उठा लेते हैं। आत्महत्या जैसे कदम उठाने से पहले किसी भी इंसान के व्यवहार में बदलाव आना शुरू हो जाता है। ऐसे में उसके व्यवहार को पता करना जरूरी है। नकारात्मक बदलाव दिखाई दे, तो उस पर ध्यान रखना जरूरी है कि इसका कारण क्या है।
-डॉ. दीप्ती सिंघल, मनोवैज्ञानिक
गुमसुम दिखे तो करें बात मनोचिकित्सक की लें सलाह
खुदकुशी के मामले में सबसे मुख्य कारण लोगों का अवसाद में चले जाना है। लोग किसी भी तरह के मानसिक दबाव को परिवार या फिर संबंधी से शेयर करें। लोगों से अपील है कि आसपास में कोई भी गुमसुम दिखे तो उससे बात करें और मानोचिकित्सक की सलाह लेने के लिए प्रेरित करें।
-हरिनारायणाचारी मिश्र, पुलिस कमिश्नर, भोपाल
