प्रदेशवार्ता. एक 15 साल 8 महीने की उम्र की दुष्कर्म पीढिता अब बच्चे को जन्म देगी. पीडिता को 36 सप्ताह से अधिक समय का गर्भ हैं. कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इस समय गर्भपात करना पीडिता और भ्रूण दोनों के लिए जानलेवा हो सकता हैं. पीडिता और उसके परिजन ने बच्चे के जन्म के बाद उसे साथ न रखने की सहमति दी हैं.
ये मामला सतना की जिला कोर्ट से हाईकोर्ट के पास आया था. जिला कोर्ट ने पत्र लिखकर हाईकोर्ट को जानकारी दी थी. हाईकोर्ट ने पत्र को एक याचिका के तौर पर स्वीकार किया. पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने बच्चे को जन्म देने की इजाजत दे दी.
हाईकोर्ट के पास पीडिता की जो मेडिकल रिपोर्ट पहुंची उसमें साफ कहा गया कि 36 सप्ताह के गर्भ को गिराने का जोखिम उठाना पीडिता और बच्चे दोनों के लिए गंभीर खतरा हैं. पीडिता और उसके अभिभावकों को भी गर्भपात के खतरों के बारे में बताया गया. खतरों को जानकर पीडिता और अभिभावक ने बच्चे को जन्म देने पर सहमति दी. साथ ही ये भी साफ कर दिया कि वे बच्चे को अपने साथ नहीं रखेंगे. हाईकोर्ट की युगलपीठ ने आदेश दिया कि बच्चा पैदा होने के बाद केवल 15 दिन तक पीडिता के पास स्तनपान के लिए रखा जाएगा. इसके बाद बच्चा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी सतना के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा. चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को ये अधिकार होगा कि वह बच्चे को किसी ऐसे परिवार को गोद दे सके जो उसे अपनाना चाहता हैं. या फिर उसे राज्य सरकार को सौंप दे.
इधर मप्र में ही एक दूसरे मामले में विशेष न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) बड़वानी ने 11 वर्ष 9 माह की दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को गर्भपात की अनुमति देते हुए बड़वानी की मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए हैं। दुष्कर्म के चलते उसे 19 हफ्ते का गर्भ है। न्यायाधीश रेखा आर चन्द्रवंशी ने दुष्कर्म पीड़िता की मां के आवेदन को स्वीकार करते हुए शुक्रवार को बड़वानी की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को तीन दिन में गर्भपात संबंधी कार्यवाही कर न्यायालय को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। पीड़ित बच्ची को उसके परिचित ने बहल-फुसलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। बच्ची को किसी को भी बताने से मना किया था। बाद में बच्ची को पेट दर्द होने पर जानकारी सामने आई थी। इस मामले में राजपुर पुलिस ने 22 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया है।
