प्रदेशवार्ता. पुलिस तो आखिर पुलिस ही ठहरी. पुलिसिया रौब से डाक्टर भी नहीं बचे. एक पुलिस अथिकारी की मां आधी रात को बीमार हो गई तो पुलिस अस्पताल पहुंची. इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रहे डाक्टर को साथ ले गए, ड्यूटी डाक्टर ने कहा भी कि में इमरजेंसी वार्ड को नहीं छोड सकता, किसी दूसरे डाक्टर को भेजता हूं. लेकिन पुलिस दरोगा ने एक नहीं सुनी और जबरन गाडी में बैठा ले गए. अभद्रता से नाराज डाक्टरों ने हडताल कर दी.
पुलिसिया अंदाज का ये मामला इटावा में सामने आया हैं. इटावा के एसएसपी साहब की मां आधी रात को बीमार पड़ गईं तो इंस्पेक्टर और सिपाही इमरजेंसी वार्ड से डॉक्टर को उठा ले गए. डॉक्टर कहते रहे कि वह इमरजेंसी छोड़कर नहीं जा सकते, लेकिन पुलिसवालों ने उनकी एक ना सुनी. आरोप है कि डॉक्टर के साथ बदतमीजी भी की गई.
बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात एसएसपी साहब की मां बीमार पड़ी थी. इसके बाद इंस्पेक्टर और सिपाही समेत चार पुलिसकर्मी इटावा के डॉ भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉ राहुल बाबू को साथ चलने को कहा.
डॉ राहुल बाबू ने घटना की डिटेल देते हुए बताया कल रात में चार पुलिस वाले आए और उन्होंने कहा कि एसएसपी की मां को देखना है. हम लोग व्यवस्था कर रहे थे, तब तक पुलिस वाले अभद्रता करने लगे, हम लोगों को घसीटकर जबरन ले गए. सिविल लाइन थाने में पुलिसकर्मियों ने मेरा मोबाइल छीना और फिर उसके बाद जबरदस्ती ले गए. वह हम लोगों से कह रहे थे कि क्या आप एसएसपी साहब से बड़े हो गए हैं या हम लोगों से बड़े हो गए हैं. चार पुलिस लोग थे, इसमें एक दरोगा भी थे. जबकि हम लोग बार-बार कह रहे थे कि किसी स्टाफ को भेज रहे हैं, इमरजेंसी से नहीं जा सकते हैं लेकिन फिर भी नहीं माने. हम लोग इंसाफ चाहते हैं. आगे किसी के साथ अभद्रता न हो.
