
जानिए अपना गौरवशाली अतीत: चौसठ योगिनी मंदिर,मितावली, मुरैना
मुरैना. आइए आपको ऐसी इमारत के बारे में बताएं जिसकी डिजाइन पर माना जाता है कि भारत की संसद का भवन बनाया गया।यह भवन मुरैना का एक मंदिर है। दिल्ली से ग्वालियर की तरफ आते समय जिला मुख्यालय मुरैना से चाँदी किमी दूर स्थित यह चौसठ योगिनी मंदिर मितावली गांव की एक पहाड़ी पर स्थित है। 1323 ईस्वी पूर्व के एक शिलालेख के अनुसार, (विक्रम संवत 1383), मंदिर कच्छप राजा देवपाल द्वारा 9 वीं सदी में बनवाया गया था। गोलाकार आकार के इस मंदिर मे 101 खंबे और 64 कमरों में एक शिवलिंग है।इन कमरों में कभी चौसठ योगिनियों की प्रतिमाएँ भी स्थापित थीं जो अब दिल्ली और ग्वालियर के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। मुख्य मंदिर में 101 गोल दायरे में खड़े खंभों के बीच एक शिव मंदिर है। एक दृष्टि में ही संसद भवन के आकार पर इस मंदिर का प्रभाव स्पष्ट नजर आताहै। इसे एकट्टसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है, लगभग सौ फीट ऊँची एक अलग पहाड़ी के ऊपर खड़ा है। मंदिर का नामकरण इसके हर कक्ष में शिवलिंग की उपस्थिति के कारण किया गया है।
ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस ने मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर से प्रभावित होकर ही भारत के संसद भवन को आकार दिया था। यही नहीं भारतीय शिल्प, स्थापत्य और संस्कृति ने अनेक अवसरों पर विदेशियों को प्रभावित किया। चौसठ योगिनी मंदिर तंत्र साधना का महत्वपूर्ण केन्द्र था । कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को 1951 के अधिनियम के तहत एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।
मंदिर की संरचना इस प्रकार है कि इस पर कई भूकम्प के झटके झेलने के बाद भी यह मंदिर सुरक्षित है । यह भूकंपीय क्षेत्र तीन में है।