प्रदेशवार्ता. पांच साल महिला ने जेल में ही काट दिए. हाईकोर्ट ने 2020 में जमानत पर रिहा कर दिया था. महिला को कोर्ट के आदेश के बाद राहत और आजादी मिलने का रास्ता तो खुला लेकिन जमानत की राशि जुटाना संभव नहीं हो सका. मजबूरी में महिला जेल में ही कैद होकर रह गई. अब 2025 में एक संस्था की मदद से महिला जेल से बाहर आई हैं. जमानत का पैसा नहीं होने और इस कारण जेल में ही रहने के प्रकरण ने कोर्ट को भी चौका दिया.
साल 2014 में विद्याबाई को पति की हत्या के आरोप में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. विद्याबाई ने हाईकोर्ट में अपील की तो फैसला निलंबित हो गया. हाईकोर्ट ने 2020 में विद्याबाई को जमानत दे दी. कोर्ट ने जमानत की शर्त पर भले रिहा कर दिया लेकिन आर्थिक तंगी के चलते विद्याबाई जमानत बांड और जुर्माना नहीं भर सकी.
विद्या बाई इसके बाद जेल में ही कैद होकर रह गई. विद्याबाई ने इसके बाद कोर्ट से निजी मुचलके पर रिहा करने की गुहार लगाई। आवेदन में आग्रह किया गया कि अपीलकर्ता को निजी मुचलके के रिहा करने के आदेश जारी किए जाएं। कोर्ट ने उसकी अपील को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक संस्था ने जुर्माने की राशि अदा कर दी है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए. के. सिंह की युगलपीठ ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम से दुर्लभतम है। युगलपीठ ने आदेश में कहा है कि मामला दुर्लभतम से दुर्लभतम होने के कारण अपीलकर्ता को रियायत प्रदान की जा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सजा के निलंबन के दौरान महिला की स्वतंत्रता खतरे में थी। अब विद्या बाई जल्द ही जेल से रिहा हो जाएगी।
