प्रदेशवार्ता. देवास जिले में मौजूद खिवनी अभयारण्य में मौजूद आदिवासियों के कच्चे मकान तोडना अब भारी पड गया हैं. वन विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने जो जल्दबाजी दिखाई उससे सरकार पूरी तरह बेकफूट पर आ गई हैं. हो सकता है डेमेज कंट्रोल के लिए सरकार कुछ बडे अफसरों की जिले से रवानगी भी डाल दे. ऐसा होने के चांस ज्यादा हैं. सरकार के भेजे नुमाइंदे की बातों में ये साफ है कि कार्रवाई तो होगी, इसके अलावा कोई विकल्प भी सरकार के पास मौजूद नहीं हैं. आदिवासियों ने हल्ला मचाकर सरकार को हिला दिया हैं. ये मामला अफसरों की अनुभवहीनता भी बताता हैं. अगर अफसर जानते तो इस बात को समझते कि आदिवासी वोट बैंक के लिए खुद अमित शाह बडी योजना मप्र आकर बनाकर गए थे. खातेगांव में घर तोडने का जो विरोध प्रदर्शन हुआ उसकी गूंज भोपाल तक सुनाई दे गई. सीधे. सीधे सीएम डा. मोहन यादव को हस्तक्षेप करना पडा, उन्होंने बिना देरी किए आदिवासी समाज के सबसे बडे नेता विजयशाह को देवास भेज दिया. विजयशाह के लिए भी ये विवाद अपना वनवास खत्म करने का जरिया बन गया. शाह इसे अपने हाथों से नहीं जाने देंगे. रविवार को वे देवास आए और सीधे जंगल में रह रहे आदिवासी परिवारों के बीच पहुंच गए. उनसे ही सारी हकीकत समझी. बारिश में जंगल के रास्ते कीचड में बंद हो गए तो भी विजयशाह नहीं रूके. वे ट्रैक्टर ट्राली में सवार हुए. जिन आदिवासियों के घर तोडे उनसे मिले, हिम्मत बंधाई और सरकार के साथ होने का भरोसा दिलाया. शाह के तेवर बता रहे है कि वे देवास के अफसरों को कार्रवाई के लिए सीधे. सीधे दोषी मानते हैं. उन्होंने कहा भी है कि वे मुख्यमंत्री से दोषी अफसरों पर कार्रवाई के लिए कहेंगे. सरकार अगर अफसरों पर कार्रवाई करती है तो इसका सकारात्मक संदेश भी आदिवासी समाज में चला जाएगा, एक भरोसा फिर से बन जाएगा. जल्द ही देवास में कुछ बडा होने वाला हैं. अफसरों को अब ट्रांसफर की लिस्ट पर नजर बनाकर रखनी चाहिए.
