प्रदेशवार्ता. होली से लेकर रंगपंचमी तक देशभर से लोग खंडवा के सैलानी बाबा की दरगाह पर आते हैं. वे लोग जो बुरी आत्माओं से परेशान हैं वे यहां अपनी परेशानी लेकर आते है. लोगों का मानना है कि बुरी आत्माओं को बाबा सैलानी की अदालत में पेश किया जाता हैं. होली से लेकर रंगपंचमी तक यहां हजारों लोग आते हैं. खंडवा से 25 किमी दूर जावरा के सैलानी गांव में एक मजार हैं. लोग इसे सैलानी बाबा की मजार कहते हैं. बाबा के यहां जो अदालत लगती है उसे न्याय का मंदिर कहा जाता हैं. यहां जो अदालत लगती है उसमें दीवानी या फौजदारी के मामले नहीं आते, यहां तो बुरी आत्माओं की पेशी होती हैं. बुरी आत्माओं को शरीर छोडने की सजा सुनाई जाती हैं. यहां होली से लेकर रंगपंचमी तक अलग ही मंजर नजर आता हैं. कोई जंजीरों से बंधा है तो कोई अलग आवाज में माफी की गुहार लगा रहा हैं. दरगाह की लोहे की दीवार को छूते ही बुरी शक्तियां बाबा सैलानी से माफी मांगने लगती हैं.
बाबा के नाम पर ही गांव का नाम सैलानी पड़ा। दूर-दूर से आए लोग यहां तंबू लगाकर कई दिनों तक रहते हैं। मान्यता है कि लगातार 5 गुरुवार यहां आने से पीडितों को फायदा होता हैं. सैलानी बाबा की दरगाह लगभग 86 साल पुरानी है। यह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के फकीर मकदूम शाह सैलानी की है। इस दरगाह की एक खास बात यह है कि यहां सांप्रदायिक सौहार्द्र देखने को मिलता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली से रंगपंचमी तक मेला लगता है। इसमें सभी धर्मों के लोग आते हैं।
