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एक गांव जहां मुर्दों के बीच रहने को मजबूर ग्रामीण…जो मरता उसका घर के परिसर में होता कफन. दफन


प्रदेशवार्ता. कैसा लगेगा आपको यदि मुर्दों के साथ रहना पड जाए. आपकी और मुर्दों की कालोनी एक हो जाए. ऐसा हुआ है. एक गांव जिंदा लोगों के साथ मुर्दों को भी साथ में जगह दे रहा है. ये गांव हैं हरियाणा राज्य का गुडाना. चरखी दादरी जिले में आता हैं तथा गांव में 50 से अधिक मुस्लिम परिवार निवास करते हैं. गुडाना गांव में कब्रिस्तान नहीं हैं. अब गांव में कब्रिस्तान नहीं है तो परिजन के शव को ग्रामीण अपने घर के परिसर में ही दफना रहे हैं. ये इनकी मजबूरी हैं. ग्रामीण कब्रिस्तान के लिए कई बार मंत्रियों और अधिकारियों से अनुरोध कर चुके हैं. कई बार आवेदन, ज्ञापन दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ. हर बार ग्रामीणों को आश्वासन मिला. आश्वासनों से ग्रामीण थक चुके हैं. मुर्दों के साथ रहने पर क्या मनोस्थिति बनती है ये सिर्फ वे ही जानते हैं. लेकिन अभी तक सब्र खाए ग्रामीण तय कर चुके हैं कि आगे से गांव में कोई मरेगा तो उसे दफनाएंगे बाद में, पहले मय्यत को अधिकारी के घर ले जाकर रखेंगे. विरोध प्रदर्शन के बाद ही मृतक को दफनाएंगे. मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि कब्रों के बीच रहना उनके लिए मानसिक तनाव का कारण बन गया हैं. एक ग्रामीण अरशद ने बताया कुछ दिन पहले गांव में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. जगह नहीं मिल रही थी, जिस कारण शव तीन दिन पडा रहा. फिर शव को एक प्लाट में दफनाया गया, यहां पहले ही दर्जनभर शव दफना चुके हैं. वहीं इस गांव के सरपंच रविंद्र कुमार के अनुसार गांव में चकबंदी नहीं हुई हैं. मामला कोर्ट में चार साल से लटका हैं. वे कहते हैं इसको लेकर जल्द बडा आंदोलन होगा.

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