प्रदेशवार्ता. कन्नौद में निजी स्कूल की बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. संयोग से बडा हादसा टल गया था. हादसे के वक्त स्कूल बस में बच्चे सवार थे. कन्नौद पुलिस ने इस मामले में बस के ड्राइवर को आरोपी बनाया था. इसके बाद से ही सवाल उठने लगे थे कि आखिर जिले के निजी स्कूलों को डर क्यों नहीं हैं. कंडम बसों में बच्चों को बैठा रहे लेकिन कोई देखने वाला नहीं. सुप्रीम कोर्ट की लंबी चौडी गाइड लाइन का पालन करने में स्कूल संचालक रूचि नहीं दिखा रहे. जो बस कन्नौद में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी उसमें एक भी शिक्षक नहीं बैठा था. सवाल जिला परिवहन विभाग की कार्यशैली पर भी थे. जब भी कलेक्टर ने आदेश दिए, अमला शहर के निजी स्कूलों को खंगालने लगा, जबकि जरूरत जिलेभर के स्कूलों को चेक करने की थी. बच्चे यहां कच्चे. पक्के रास्ते की सवारी करते हैं. अगर बस अच्छी स्थिति में नहीं है तो फिर हादसे का डर बना रहता हैं. कन्नौद में हादसे के बाद आखिरकार परिवहन विभाग की नींद भी खुल गई. अमला खातेगाव. कन्नौद पहुंचा और बसे चेक की.
चैकिंग कार्यवाही के दौरान देवास जिले के कन्नौद एवं सतवास तहसील के बालाजी स्कूल, सांवरिया स्कूल, न्यू आर्यन स्कूल, श्रीजी स्कूल सतवास, आधार शीला स्कूल पीपलकोटा, चैम्पियन पब्लिक स्कूल सतवास, सत्य सांई स्कूल, दादाजी स्कूल सतवास एवं मार्ग पर संचालित अन्य शैक्षणिक संस्थान के लगभग 75 स्कूल बसों को चैक किया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुरूप मापदण्ड पूर्ण होने संबंधी जांच की गई, जिसमें 16 वाहनों के दस्तावेजों में अनियमितताएं पाई जाने पर चालानी कार्यवाही की जाकर 1 लाख 30 हजार का शमन शुल्क वसूल किया गया। साथ ही श्री बालाजी एकेडमी की एक स्कूल बस मार्ग पर संचालन योग्य स्थिति में नहीं पाई जाने पर बस का फिटनेस निरस्त किया गया।
