वर्कशॉप में अभिनय की बारीकियों से रूबरू हुए कलाकार
देवास। अभिनय, पटकथा लेखन और फोटोग्राफी की 10 दिवसीय कार्यशाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (नई दिल्ली), मध्यप्रदेश सरकार, कलाव्योम फाउंडेशन और रंगाभास नाट्यशाला के संयुक्त प्रयास से आयोजित की जा रही है। कार्यशाला ने कलाकारों के लिए एक अनोखा मंच प्रदान किया है।
प्रतिभा ग्लोबल स्कूल में चल रही इस कार्यशाला में प्रशिक्षक सुशीलकांत मिश्रा ने अभिनय की बारीकियों को सिखाते हुए कहा कि अभिनय सिर्फ संवाद बोलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने चरित्र को पूरी तरह आत्मसात करने की कला है।
गुरुवार को कार्यशाला में प्रतिभागियों को अभिनय से जुड़ी कई महत्वपूर्ण तकनीकों से अवगत कराया गया। संवाद अदायगी, इमोशन कंट्रोल, शरीर की भाषा, चेहरे के हाव-भाव और ओवरएक्टिंग तथा नेचुरल एक्टिंग के बीच का अंतर समझाया गया। प्रशिक्षक सुशीलकांत मिश्रा ने बताया, कि अभिनेता को सिर्फ अपने डायलॉग ही नहीं, बल्कि किसी भी पात्र के चरित्र की गहराई को भी समझना जरूरी होता है। किसी भी सिचुएशन के अनुरूप खुद को ढालना ही एक अच्छे कलाकार की पहचान है।
उन्होंने कलाकारों को स्वरों के उच्चारण, लंबे डायलॉग को याद करने की तकनीक, और कहानी कहने की कला पर भी विशेष प्रशिक्षण दिया। कार्यशाला में थिएटर और फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करने के तरीकों पर भी चर्चा की गई।
थिएटर और फिल्म इंडस्ट्री में अवसरों पर चर्चा-
कलाव्योम फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक श्रीमाल ने कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि देवास जैसे शहरों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत सिर्फ सही मार्गदर्शन और मंच की होती है। यह कार्यशाला कलाकारों को थिएटर, वेबसीरीज और फिल्म इंडस्ट्री में अवसर पाने के लिए तैयार कर रही है।
सही मार्गदर्शन मिलने पर छोटे शहरों के कलाकार भी थिएटर और फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि आज के डिजिटल युग में कलाकारों की मांग सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं रही, बल्कि वेब सीरीज, ओटीटी प्लेटफॉर्म और शॉर्ट फिल्मों में भी नए टैलेंट की जरूरत है।
कलाकारों को मिला मंच, भविष्य के लिए नए अवसर-
वर्कशॉप के दौरान कलाकारों को लाइव परफॉर्मेंस के जरिए सीखने का अवसर दिया जा रहा है। वेबसीरीज, शॉर्ट फिल्म और रंगमंच से जुड़ी तकनीकों पर भी चर्चा की जा रही है। कलाकारों ने इस कार्यशाला को अपने करियर के लिए बेहद लाभकारी बताया।
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों द्वारा तैयार किए गए संवाद-अभिनय और नाट्य प्रस्तुति का प्रदर्शन होगा, जहां वे अपने सीखे हुए कौशल का प्रदर्शन करेंगे।
