आज ही खुदरा महंगाई के आंकड़े आए हैं। ये 14 महीने के सबसे ज्यादा हैं। यानी महंगाई नरेंद्र मोदी की निकम्मी सरकार के हाथ से फिसल चुकी है।
जब कभी रुपया 4% गिरता है तो महंगाई का 2% भार आपकी जेब पर अतिरिक्त पड़ता है, यानी कुल 6%.
इस लिहाज से आपकी सैलरी 10% बढ़नी चाहिए। वरना आप गरीबी की तरफ बढ़ने लगते हैं। भारत की 80% जनता उसी ओर बढ़ रही है।
दो कारण हैं–1. देश का व्यापार घाटा लगातार बना हुआ है और 2. वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 4% से नीचे है।
हमारी कंपनियां एक्सपोर्ट नहीं कर पा रही हैं और विदेशी निवेश सूख चुका है।
नतीजा यह कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए की मांग न के बराबर है।
वह दिन जल्द आयेगा, जब एक डॉलर 105 रुपए के बराबर होगा।
वास्तव में तब भारत और रवांडा एक ही पायदान पर खड़े दिखेंगे।
