दीपोत्सव के आरंभ के साथ ही बाजार गेंदे के फूलो की दुकानों से सज गया है. शहर के हर मार्ग पर गेंदे के फूलों की दुकाने लगी है. बिना गेंदे के फूलो के दीपावली त्यौहार अधूरा सा लगता है. गेंदे के फूलों की बिक्री किसान को भी आर्थिक रूप से मजबूत करेगी, शासन के लोकल फार वोकल के संदेश को गेंदे के फूलों की खेती गांव तक पहुंचा रही है. खुशबू बिखेरने वाले फूल आसपास के उन्नत किसानों के जीवन में आर्थिक उन्नति मे मददगार बनेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में आमतौर पर गेंदे के फूलों की खेती की जाती है। दीपोत्सव पर गेंदा फूलों की मांग अधिक रहती है, जिससे किसान को अच्छी आमदनी का मौका मिलता है. क्षेत्र के किसानों ने अपने खेतों के कई हिस्सों में गेंदे के फूल लगा रखे हैं, जो इन दिनों खिलकर बिकने के लिए आ रहे हैं। किसानों द्वारा भी इन फूलों की माला बनाकर शहर में दुकान लगाकर बिक्री की जाती है, जिसकी कीमत दीपावली पर 50 से 70 रुपये तक रहती है। अन्य दिन में यह माला 30 से 40 रुपये में ही बिकती है।
100 रुपये किलो तक बिक जाते हैं फूल…
जिले के किसान खरीफ मौसम में फूलों की खेती शुरू कर देते है. प्रतिदिन खेत में इन पौधों की देखरेख की गई। फूल खिलने लगे तो इन्हें तोड़कर व्यापारियों को बेच दिया, जिससे अच्छी आमदनी हुई है। दीपावली पर्व पर दुकान लगाकर फूलों की बिक्री भी किसान कर रहे है, क्योंकि दीपावली के समय इन फूलों से अच्छी आमदनी होती है। देवास शहर में बस स्टैंड, लाल गेट, सयाजी द्रार व बाजार के अंदर पर फूल माला की कई दुकानें बुधवार को लगी हैं, जहां 50 से 70 रुपये के बीच फूल माला बिक रही है. किसानों ने कहा कि ज्यादा फूल आने पर कम भाव और कम फूल आने पर अच्छा भाव मिलता है। दीपावली पर्व पर 100 रुपये किलो तक भी फूल बिकते हैं। आम दिनों में तो इन फूलों के भाव कम रहते हैं। दीपावली पर फूलों से आमदनी अच्छी होती है, इसलिए खेत के कुछ हिस्से में फूल लगाए जाते हैं।
