प्रदेशवार्ता. सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी देवास जिले के पहले ऐसे नेता है जिन्होंने नशे के सौदागरों के खिलाफ दमदारी से आवाज उठाई है. अलग.अलग मंच से वे कई बार इसे लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले की बात है, नशे के खिलाफ बोलते ही पुलिस प्रशासन ने शहर के अंदर बडी कार्रवाई करते हुए शराब रैकेट की कमर तोडी थी. मुखर अंदाज उनकी पहचान रहा है, अपनी बात बैबाकी से कहते हैं. राज्य में जब कुछ समय के लिए कमलनाथ की सरकार थी तब देवास जिले की राजनीति का प्रमुख चेहरा सज्जनसिंह वर्मा सरकार में केबिनेट मत्री थे. उनके समय एसपी और कलेक्टर की कार्यशैली ने लोगों को अचरज में डाल दिया था. अफसर तमाम प्रोटोकॉल तोडकर जी हुजूरी पर आमादा थे. उस समय केवल सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी मुखर हुए थे और अफसरों के इस रवैये का विरोध किया था. उनकी स्पष्टवादी छवि उनकी मजबूत पहचान हैं. सनातनी नेता है, मंदिर का विरोध करेंगे…? दरअसल इस बार मुद्दे को भटकाया जा रहा हैं. सांसद ने जो पत्र मंदिर समिति को लिखा था, उसमें जिक्र इस बात का था कि मंदिर निर्माण के बाद शेष सरकारी जमीन पर किसी की नजर न गढे. वे जिन उद्देश्यों के लिए रिजर्व रखी गई है उनका भविष्य में वैसा ही उपयोग हो, वहां कैंसर का अस्पताल बने, नशा मुक्ति केंद्र वजूद में आए. याने मंदिर भी भव्य बने और दरिद्रों की सेवा भी हो. पत्र के जवाब में पत्र जरूर दिया गया लेकिन उसमें शेष जमीन को लेकर वादा नहीं हैं. राजनीति के शाह और मात के खेल में असल मुद्दा हाशिये पर चला गया हैं.
