प्रदेशवार्ता. किसान अगर जागरूक हो और किसान हितैषी योजना का लाभ उठाना जानता हो तो खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता हैं. खेती किसानी में नई तकनीक सीखने के साथ ये भी जरूरी है कि व्यापारिक फसलों की तरफ रूख किया जाए. बागली के किसान ने सफलता की राह दिखाई हैं. किसान सफेदमूसली की खेती से मालमाल हो रहा हैं. सफेद मूसली की खेती ने किसान की किस्मत बदल दी हैं.
उद्यानिकी विभाग की योजना का लाभ लेकर किसान रामचरण कर सफेदमूसली की खेती कर रहे हैं. 18-20 बीघा में सफेदमूसली की खेती किसान लगाता हैं.
विकासखंड बागली के किसान रामचरण ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से औषधीय फसलों की जानकारी लेकर सफेदमूसली की खेती प्रारंभ की। एक एकड़ जमीन में खेती से 20-25 क्विंटल कंद का उत्पादन प्राप्त होता है, तथा छिलने के बाद 4-6 क्विंटल सूखी सफेदमूसली प्राप्त होती है। वर्तमान में 18-20 बीघा में सफेदमूसली की खेती की जा रही है। साथ ही अंतरवर्तीय फसलों के रूप गेहूं और अरहर की खेती भी की जा रही है।
किसान रामचरण ने बताया कि सफेदमूसली की खेती से एक वर्ष में लगभग 40-50 लाख की आय प्राप्त हो रही है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से विभागीय प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन मिलने से उद्यानिकी की नवीन तकनीकी से औषधीय फसल सफेदमूसली की खेती कर रहे है।
