प्रदेश वार्ता. आम दिनों में ही भोपाल का ट्रैफिक रेंगने लगता हैं. लंबा लंबा जाम लोगों का दिन खराब कर देता है. लेकिन यही भोपाल गवाह है कि एक ही समय में जब दस लाख लोग एक साथ निकलते हैं तब यातायात व्यवस्था ध्वस्त नहीं होती हैं. भोपाल का इज्तिमा अपने बेहतरीन प्रबंधन के लिए भी सुर्खियां देश. दुनिया में बटोर रहा हैं.
एक अनुमान के मुताबिक भोपाल के आलमी तब्लीगी इज्तेमा में आखरी दिन दुआ के वक्त 10 लाख तक की भीड़ हो जाती है
दुआ के बाद सब फौरन निकलना भी चाहते हैं लेकिन इतनी तादाद में आए लोग भी कुछ ही घंटे में ऐसे आसानी के साथ निकल जाते हैं के दुनिया हर साल हैरान रह जाती है…
ये इज्तेमा अब धीरे धीरे मैनेजमेंट का कोर्स करने वालों केलिए रिसर्च का सिलेबस बनता जा रहा है
मेरी समझ से इसकी सिर्फ एक ही वजह है जिसे जो काम अमीर ए जमात ने सौंपा है वो उसे पूरी ईमानदारी से करता है और आने वाली अवाम भी आखिर में की गई अपील पर पूरी तरह से अम्ल करता है जिसकी वजह से सारे काम आसानी के साथ निपट जाते हैं…
“आप सल्लालाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में आप जुमा का खुतबा दे रहे थे मस्जिद के अंदर कोई शख्स खड़ा हो गया आपने उनसे कहा बैठो, बाहर एक सहाबी मस्जिद की तरफ आ रहे थे उनके कानों में भी ये बात चली गई और वो वहीं बैठ गए दूसरे सहाबी ने जब उनसे पूछा के यहीं क्यों बैठ गए अंदर चलो उन्होंने कहा हमने अपने नबी की आवाज़ सुनी के बैठो तो मैं बैठ गया दूसरे सहाबी ने कहा वो तो अंदर मौजूद लोगों केलिए कहा होगा
उन्होंने कहा हां उन्होंने उनके लिए ही कहा होगा लेकिन जब मैने ये हुक्म सुन लिया तो खड़ा कैसे रह सकता हूं”
ऐसे अपने अमीर की बात मानने वाले आज भी हैं जिसकी मिसाल ये इज्तेमा है जिसकी मिसाल अब गैर भी देते हैं…
