प्रदेशवार्ता. मप्र के कुछ पुलिस अफसरों के लिए फर्जी एनकाउंटर बडी मुसीबत लेकर आ गया हैं. सीबीआई जांच में पुलिस अफसर एक. एक कर फंस रहे हैं. सीबीआई अब तक एक डीएसपी और प्रधान आरक्षक को गिरफ्तार कर चुकी है. एएसपी पर गिरफ्तारी कि तलवार लटक गई है.
कुख्यात आरोपी बंशी गुर्जर राजस्थान की जोधपुर पुलिस पर हमला कर देता हैं. पुलिस पर हमला कर वो रतनलाल मीना नामक आरोपी को छुडा ले जाता हैं. इसके बाद मप्र के नीमच की पुलिस साल 2009 में दो पुलिस दल का गठन करती हैं. इस दल द्रारा दावा किया गया कि उन्होंने बंसी गुर्जर को एनकाउंटर में मार दिया. नीमच के उस समय के एसपी वेदप्रकाश और एसडीओपी अनिल पाटीदार सहित एनकाउंटर में शामिल 20 पुलिसकर्मियों की खूब तारीफ होती हैं. पूरी कहानी तीन साल बाद 2012 में बदल जाती हैं. सन् 2012 में तत्कालीन आईजी उपेंद्र जैन की बनाई गई पुलिस टीम आरोपी बंसी गुर्जर को जिंदा पकड लेती हैं. मामला हाईकोर्ट में भी चला जाता हैं. इसके बाद इस मामले में सीबीआई जांच बैठ जाती है. सीबीआई ने इस फर्जी एनकाउंटर मामले में पिछले मंगलवार को डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड तत्कालीन रामपुर थाना प्रभारी और तत्कालीन आरक्षक नीरज प्रधान( वर्तमान में प्रधान आरक्षक) को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया और दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस रिमांड में अब इन दोनों से पूछताछ हो रही हैं. इनकी गिरफ्तारी की खबर लगते ही एएसपी अनिल पाटीदार गायब है, अन्य आरोपी भी भूमिगत हो गए हैं. बडवानी एसपी जगदीश डाबर के अनुसार एएसपी अनिल पाटीदार अपनी मां की बीमारी का कहकर 2 अप्रैल को इंदौर अपने घर चले गए थे. अपने साथ शासकीय वाहन और उसके चालक व गनमैन को भी इंदौर ले गए थे, जो वापस भेज दिए. अगले दिन वाट्सअप पर 10 से 12 दिन की छुट्टी मांगी थी. इसके बाद से ही एएसपी अनिल पाटीदार का मोबाइल बंद आ रहा हैं.
