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महिला दिवस…पिता के निधन के बाद आ गया 27 लाख रुपए कर्ज चुकाने का भार, घर भी चला गया, फिर अपने मजबूत संकल्प से लिखी कामयाबी की इबारत


प्रदेशवार्ता. थोडी सी मुश्किल आई घबरा गए. हालतों से लडने के बजाए पलायन कर गए. अपने ऊपर अवसाद हावी कर लिया. फिर इसी अवसाद में रहते नशे के मकड जाल में उलझ गए. आज के युवाओं को एक बालिका से सीख लेना चाहिए, सीखना चाहिए की खुद पर कैसे भरोसा रखे. ये भरोसा ही एक दिन कमाल कर देता हैं. राजस्थान के कोटा शहर की रहने वाली प्रेरणा जब मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी कर रही थीं, तब उनके सामने चुनौतियों का पहाड खडा था. फिर भी प्रेरणा ने हार नहीं मानी. और अपने पहले प्रयास में ही एमबीबीएस कोर्स के लिए सीट हासिल कर ली. दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा नीट की होती हैं. लाखों छात्र और चुनिंदा सीट. एक. एक सीट के लिए कडी प्रतिस्पर्धा. अगर वक्त गर्दिश में हो, घर के हालात बेहद खराब हो, उस समय भी बडा सपना आंखों में रखना और उसके लिए डट कर मेहनत करना आसान नहीं होता. लेकिन प्रेरणा ने ये कर दिखाया. अपने मजबूत संकल्प और कडी मेहनत से.
प्रेरणा जब नीट की तैयारी कर रही थी, उस दौरान पिता का निधन हो गया. पिता के निधन के बाद परिवार मुसीबत में आ गया. लोन न चुका पाने के कारण घर चला गया. प्रेरणा के कंधों पर चार भाई. बहनों की देखभाल और 27 लाख रुपए के कर्ज की जिम्मेदारी आ गई.
प्रेरणा ने इतने सख्त हालातों में भी हिम्मत नहीं हारी. लगातार 10 से 12 घंटे पढाई करती. इस दौरान खाने पीने की सुध भी नहीं रखी. जिस घर में तैयारी कर रही थी वो महज एक कमरे का मकान था. उठना. बैठना हो जाए तो गनीमत, सोने के लिए ठीक से जगह ही नहीं मिलती थी.
आखिरकार वो दिन आया जब नीट 2023 का परिणाम जारी हुआ. परीक्षा में 2 लाख पांच हजार छात्र बैठे थे. प्रेरणा को 720 में से 686 अंक मिले. रैंक 1033 हासिल कर अपने लिए सीट बुक कर ली. प्रेरणा कहती है मेरे पिता कहा करते थे, चाहे कितनी आर्थिक परेशानी हो, तुम्हें अपना सपना पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता. पिता की ये बात ही प्रेरणा ने अपने संकल्प में उतारी और सफलता का आसमान छूआ.

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