प्रदेशवार्ता. फर्जी डिग्री लगाकर मास्टर बन गए, शिकायतों के बाद जांच हुई और जिला शिक्षा अधिकारी ने भी स्कूलों को हटाने को लिखा लेकिन शिक्षकों का कुछ नहीं हुआ. शिक्षक अलग. अलग स्कूलों में डटे हुए हैं. अब ये शिक्षक लोकायुक्त की रडार पर आ गए है. 77 शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने सांवेर जनपद पंचायत के जरिए नौकरी हासिल करी थी. फर्जी डिग्री के बावजूद शिक्षकों का नौकरी में बना रहना कई सवाल खडे करता हैं. वो किसका राजनीतिक रासूख है जिसका संरक्षण इन मास्टरों को मिला हुआ है.
पूरा मामला 2021 में एक शिकायत दर्ज होने के बाद सामने आया था. शिकायत में सामने आया था की सांवेर तहसील में कई शिक्षकों ने फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र जमा करके नौकरी हासिल की है। डीईओ कार्यालय द्वारा की गई बाद की जांच में पुष्टि हुई कि शामिल 77 शिक्षकों में से अधिकांश ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
स्पष्ट सबूतों के बावजूद, आरोपी शिक्षक अपने पदों पर बने हुए हैं। डीईओ सुषमा वैश्य ने कहा कि उनके कार्यालय ने सितंबर में आवश्यक आदेश जारी किए थे, याने डीईओ के आदेश को स्कूलों ने तव्वजों नहीं दी. इस साल सितंबर में डिग्री प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता की जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी और मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पुष्टि की थी कि प्रमाण पत्र वास्तव में जाली थे.
