प्रदेशवार्ता. एक तरफ उच्चशिक्षित युवाओं की फौज हैं. एक. एक नौकरी के लिए कडी स्पर्धा करते हैं. रात. दिन पढते हैं, खुद को तैयार करते हैं. तब भी ग्यारंटी नहीं की योग्यता के अनुरूप नौकरी मिल ही जाए. दूसरी तरफ नेता पुत्र हैं. सब कुछ विरासत में मिल रहा हैं. योग्यता यहां कोई बाधा नहीं हैं. पढ लिख लिए तो अच्छा, नहीं तो कोई बात नहीं. ऐसे ही होनहार नेता पुत्र हैं यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह. संदीप को राजनीति विरासत में मिली हैं. संदीप के दादा कल्याणसिंह सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके. पिता राजवीर सिंह राजू भैया यूपी के एटा से सांसद हैं. 2017 में अतरौली सीट से पहली बार जीतने पर ही संदीप सिंह प्रदेश सरकार में वित्त, चिकित्सा शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। इस बार उनको प्रदेश में महत्वपूर्ण विभाग माने जाने वाले बेसिक शिक्षा मंत्री का विभाग सौंपा गया. विधानसभा में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह हिंदी में लिखा हुआ अपना भाषण पढ रहे थे. बेहद आसान हिंदी को पढते हुए भी मंत्री जी लडखडाते रहे. आखिर में गलती कर बैठे. मंत्री संदीप अपना भाषण पढते. पढते समिति शब्द पर पहुंचे तो इसे श्रीमति पढकर आगे निकल गए. फिर सदन के सभापति ने टोका और कहा कि वो श्रीमति नहीं समिति हैं. मंत्री ने तब अपनी गलती सुधारी और श्रीमति को समिति पढकर आगे बढे. मंत्रीजी के कंधों पर बेसिक शिक्षा का भार हैं. अभी तक तो हिंदी के बेसिक शब्द ही संघर्ष करा रहे हैं. खैर, विरासत की राजनीति में ये सब मायने नहीं रखता.
