प्रदेशवार्ता. सरपंचपति प्रथा ने महिलाओं के अधिकार पर डकैती डाल दी. अब केंद्र सरकार सरपंचपति प्रथा को लेकर सख्त नियम बनाने जा रही हैं. पंचायती राज मंत्रालय ने इसकी सिफारिश की हैं. समिति का कहना है कि अगर कोई पुरुष रिश्तेदार महिला की जगह काम करता मिला तो उसे कडी सजा दी जाए. समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया गया था. समिति को जांच करना थी कि महिलाओं के कामकाज में पुरुष कितनी घुसपैठ करते हैं, साथ ही इस मुद्दे पर गौर कर सुधार लागू करना है ताकि पुरुषों का सीधा. सीधा हस्तक्षेप खत्म हो. देश में लगभग 2.63 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 32.29 लाख चुने हुए प्रतिनिधि हैं. लेकिन सबसे खास बात, इनमें से 15.03 लाख (46.6 प्रतिशत) पंचायतें महिलाएं चला रही हैं. पंचायतों में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन फैसले लेने में उनकी भूमिका अभी भी कम है. ज्यादातर फैसले सीधे. सीधे घर के पुरुष सदस्य लेते हैं. समिति ने अपनी रिपोर्ट में महिला प्रतिनिधियों को लगातार प्रशिक्षण देने पर जोर दिया है. इनमें स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षण, भारतीय प्रबंधन संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की मदद और महिला विधायकों और सांसदों की भागीदारी शामिल है.
इसके अलावा समिति ने अपनी रिपोर्ट में महिला जनप्रतिनिधियों को ताकत देने के लिए कई सुझाव दिए हैं. इनमें कुछ पंचायत समितियों और वार्ड समितियों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करना, ‘प्रधान पति’ प्रथा रोकने वाले लोगों को पुरस्कार देना, महिला लोकपाल की नियुक्ति करना और ग्राम सभाओं में महिला प्रधानों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना शामिल है.
