प्रदेशवार्ता. शहर अतिक्रमण की चपेट में हैं. पडोस के दो शहर उज्जैन. इंदौर में जितना अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाता उसका 10 प्रतिशत भी देवास में अभियान नहीं चलता. शहर के अंदर तो अतिक्रमण गहरा है ही, बाहरी क्षेत्रों में भी अस्थायी अतिक्रमण महामारी की तरह फैल चुका हैं. अकेले एबी रोड पर एलएनबी क्लब से लेकर टाटा चौराह तक सडक किनारे गुमटियों, ठेलों का गहरा जाल बिछ चुका हैं. मुख्य सडक के किनारे बने पैदल ट्रेक तो कभी के खत्म हो गए. अतिक्रमण करने वालो को नगर निगम नाम की चिढिया का जरा भी डर नहीं हैं. पूर्व कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने भी एक माह पहले ही एबी रोड पर अतिक्रमण के जाल को देखते हुए नगर निगम को आदेश करा था कि वो मार्ग पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाए. दो बार उनके द्रारा आदेश दिए गए लेकिन निगम अफसर आदेश को घोलकर पी गए. अब नवागत कलेक्टर ऋतुराजसिंह ने शहर से अस्थायी अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया हैं. कलेक्टर ने गुमटियों को हटाने का आदेश दिया हैं. शहर पहले ही अस्थायी अतिक्रमण से घिर चुका है. निगम अफसरों के पास इच्छा शक्ति की कमी हैं. कार्यवाही शुरू करेंगे तो बेमन से. ऊपर के अफसर निचले अमले को अतिक्रमण हटाने के काम में लगा देंगे और खुद गायब हो जाएंगे. इस निचले दल को कोई भी छुटभैया नेता चमकाकर भगा देगा. सबसे पहले नगर निगम के अफसरों को खुद अतिक्रमण हटाने का बायलाज अच्छी तरह से पढना चाहिए.. पढोसी शहर इंदौर के निगम अफसरों से सीखना चाहिए की कैसे अतिक्रमण हटाने के अभियान को जमीन पर उतारा जाता हैं.
