प्रदेशवार्ता. कक्षा पहली से आठवीं तक के स्कूल संचालक राज्य शिक्षा केंद्र की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. एक दिन पहले मप्र के निजी स्कूल संचालक हडताल पर भी रहे. वहीं मान्यता के लिए आवेदन करने का आज अंतिम दिन हैं. लेकिन अभी तक स्कूल संचालक आगे नहीं आए हैं. मप्र के 34 हजार स्कूलों में से केवल 7351 स्कूल ही अभी तक आगे आए और मान्यता के लिए आवेदन किया हैं. रजिस्टर्ड किराया नामा और 40 हजार रुपए जमा करने का नियम छोटे स्कूलों को बंद करने की कगार पर ले आया हैं. गरीब बस्तियों में भी बडी संख्या में निजी स्कूल चलते हैं. ये स्कूल रजिस्टर्ड किरायेनामा कहां से लेकर आए..? आदेश की सख्ती के चलते अनुमान है कि 18 हजार स्कूल पूरी तरह बंद हो जाएंगे. सरकार ने एक तरफ शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर रखा है दूसरी तरफ वो शिक्षा के क्षेत्र से भी कमाई का जरिया ढूंढ रही हैं. ऐसे में सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठते हैं.
सरकार शिक्षा के लिए कितनी गंभीर है ये इस बात से भी पता चलता है कि सरकार आरटीई की फीस प्रतिपूर्ति ही समय पर नहीं कर पा रही हैं. आरटीई की फीस अटके रहने से निजी स्कूल संचालकों का गणित तो पहले से गडबडा गया था नए नियम लाकर राज्य शिक्षा केंद्र ने और परेशानी बडा दी.
