प्रदेशवार्ता. अवैध कालोनाइजरों की जालसाजी को खत्म करने के लिए मप्र सरकार ने एक विशेष पहल करते हुए अब रजिस्टर्ड कालोनाइजरों की सूची जारी की हैं. इस कदम से अवैध कालोनियों की आसानी से पहचान हो जाएगी.
देवास शहर का विस्तार होने के साथ ही अवैध कालोनाइजर भी सक्रिय हो गए हैं. अकेले उज्जैन रोड का विस्तार होने के बाद धडाधड कालोनिया उग आई हैं. इनके जोरदार प्रचार से किसी को समझ ही नहीं आता कि ये कालोनी अवैध हो सकती हैं. लोग इनके झांसे में आ जाते हैं. मप्र सरकार ने अब इस पर नकेल कसना शुरू कर दिया हैं.
मप्र में आठ हजार से अधिक अवैध कालोनिया हैं. 600 से अधिक पर प्रकरण भी दर्ज हुआ. लेकिन फिर भी लोगों का पैसा उलझ जाता था. देवास की ही बात करे तो नगर निगम की कार्यवाही धीमी रही हैं. इसका फायदा अवैध कालोनाइजरों को सीधे जाता हैं. अब मप्र सरकार ने सीधे ही मप्र के रजिस्टर्ड कालोनाइजरों की सूची जारी की हैं. इस सूची में कालोनाइजरों के नाम, कार्यालयों के पते और उनका रजिस्ट्रेशन नंबर शामिल होगा. रजिस्टर्ड कालोनियों की सूची आने से लोगों को आसानी से अवैध कालोनियों का पता चल जाएगा. अभी तक कालोनाइजर का रजिस्ट्रेशन सिर्फ उसी जिले में होता था जहां वे अपना प्रोजेक्ट शुरू करते थे. इसका फायदा कालोनाइजर को मिलता था, वे इसी रजिस्ट्रेशन से दूसरे जिले में अवैध कालोनी बना लेते थे. मप्र की मोहन यादव सरकार ने इसमें सुधार करते हुए रजिस्ट्रेशन को प्रदेश स्तर पर कर दिया हैं. अब कालोनाइजर किसी भी जिले में प्रोजेक्ट शुरू करे लेकिन उनके पास रजिस्ट्रेशन का प्रमाण होना जरूरी होगा.
