प्रदेशवार्ता. वर्ष 2019 के अर्धकुम्भ हेतु 2743 करोड़ रुपये का जो बजट स्वीकृत हुआ था, वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। इसका खुलासा कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में किया है. विधानसभा पटल पर रखी कैग रिपोर्ट में ये गडबडी आई सामने…
★ राज्य सरकार द्वारा ख़रीदे गए 32.5 लाख रुपये के ड्रोन कैमरों का उपयोग नहीं किया गया और वे निष्क्रिय पड़े रहे। इस पर कैग को दिए अपने जवाब में उप्र. सरकार ने कहा कि तीन बड़े ड्रोन और 10 छोटे आकार के ड्रोन खरीदे गए थे, लेकिन 10 छोटे ड्रोनों द्वारा उतारी गईं तस्वीरों की गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं थी, इसलिए आपूर्तिकर्ता को समस्या दूर करने के लिए कहा गया था। कैग को यह ‘जवाब मान्य नहीं था क्योंकि कुंभ मेले की अवधि के दौरान ड्रोन कैमरों को बदला नहीं गया था।’
★ राज्य सरकार ने कुंभ मेला उपकरणों की खरीद के लिए राज्य आपदा राहत कोष से गृह (पुलिस) विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया, जबकि इस राहत कोष का उपयोग केवल चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, भूस्खलन आदि से पीड़ित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए होता है।
★ ट्रैक्टर खरीद में घोटाला हुआ था। पंजीकृत ट्रैक्टरों के नंबर कार, मोपेड, स्कूटर और मोटरसाइकिलों के पाए गए थे।
★ टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग के लिए स्वीकृत 105 करोड़ रुपए से 38.13 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च किए गए। बैरिकेटिंग के लिए अलग-अलग विभागों ने अलग दरों पर भुगतान किया।
★ फाइबर प्लास्टिक शौचालय (सैप्टिक टैंक, सोकपिट) और टॉयलेट शीट खरीदने में घोटाला, 8.75 करोड़ का फर्जी भुगतान हुआ था।
★ ठेकेदारों को अनियमित ठेके दिए गए।
★ सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया।
