प्रदेशवार्ता. कुपोषण से संघर्ष कर रहे बच्चों के लिए मोटी आई बडी सहारा बनी है. मोटी आई के सहारे एक.एक कर अब तक 600 बच्चे कुपोषण से बाहर आ गए है. मोटी आई का कान्सेप्ट झाबुआ कलेक्टर नेहा मीणा लेकर आई थी. उनके इस नवाचार को अब विशेष पहचान मिल रही हैं. मोटी आई योजना में कुपोषित बच्चों को पोष्टिक भोजन देने के साथ ही प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं द्रारा आयुर्वेदिक तेल से मालिश की जाती हैं. पोष्टिक भोजन और मालिश के संयोजन से बच्चे कुपोषण से बाहर आ रहे हैं.
राजस्थान के उदयपुर में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित चिंतन शिविर में म.प्र. के झाबुआ का ‘मोटी आई’ मॉडल छा गया। शिविर के दूसरे दिन महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने देश भर के महिला बाल विकास मंत्रियों के सामने आदिवासी अंचल में किए जा रहे इस नवाचार का जिक्र किया। इस नवाचार को स्थानीय कलेक्टर नेहा मीणा के द्वारा महिला बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य व आयुष विभाग के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया की ‘मोटी आई’ जिसे बड़ी मां भी कहा जाता है उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया। मोटी आई के द्वारा कुपोषित बच्चों की आयुर्वेद के अनुसार तेल से नियमित मालिश की जा रही है साथ ही स्थानीय सहयोग से बच्चों को विशिष्ट पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। ‘मोटी आई’ उन बच्चों के लिए वरदान बन गई है जिनके माता-पिता पलायन कर बच्चों को घर के बुजुर्ग के पास छोड़ गए हैं।
इस नवाचार की बदौलत आज बिना किसी बजट के झाबुआ जिले में 1950 गंभीर कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर को सामान्य बनाने के लिए किए जा रहे एकजुट प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अब तक करीब 600 बच्चे गंभीर कुपोषण से उबरकर सामान्य पोषण की श्रेणी में आ गए हैं। मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि जल्द ही झाबुआ जिले को पूरी तरह कुपोषण मुक्त बनाकर देश के सामने मॉडल के रूप में प्रस्तुत करेंगे।
