कारपोरेट वार्ता. क्या कभी सोचा है कि रुपए की लगातार गिरावट से किसका फायदा हो रहा है..? वो कौन है जो गिरते रुपए के साथ फलफुल रहे हैं और उनकी भाषा भी बदल गई है. इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की फिक्र और सलाह देखी है? नारायणमूर्ति देश को विज्ञान में पिछडा बता रहे हैं और खुद रिसर्च पर कितना खर्च कर रहे हैं..? केवल 0.5 प्रतिशत से भी कम. अब देश के युवाओं को उनकी सलाह भी देख लीजिए.. जनाब कहते है कि युवाओं को हफ्ते में 100 घंटे कारपोरेट के लिए काम करना चाहिए.. याने युवा पूरी तरह से कारपोरेट का गुलाम बन जाए. आखिर वे क्या कारण है कि नारायणमूर्ति के ऐसे बयान आ रहे हैं.. क्योंकि गिरते रुपए के साथ इन्फोसिस का मुनाफा बढ रहा है. अगर कंटेंट को देख लोगे तो नजरिया खुद बदल जाएगा..
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