खुद का बदरगाह.. जहाज मौजूद हो उसे माल खपाने में किसी बात की परेशानी नहीं..
व्यापार वार्ता . मांग और आपूर्ति का पूरा सिस्टम अगर ध्वस्त कर दिया जाए तो क्या होगा..? जाहिर है बाजार में मांग तो रहेगी लेकिन चीजें नहीं मिलेगी. तब महंगाई का तडका लग जाता हैं, चीजों के दाम आसमान छूते हैं और वे आम आदमी की खरीदी से बाहर चले जाते हैं. इन दिनों यही कहानी चलाई जा रही हैं. भारतीय बाजार से सस्ते में माल उठाया जा रहा है और वो विदेशों में चार से पांच गुना भावों में बेचा जा रहा हैं. ये बेचवाल कौन है जो विदेशों में भारत का सस्ता माल खपा रहा है. तो ये वही व्यक्ति है जिसका खुद का जहाज है, बंदरगाह है.. और सरकार भी. अडानी भारतीय बाजार से सस्ता माल खरीदतें है और विदेशों में पांंच गुना दामों में बेच देते हैं.. आम आदमी समझ ही नहीं पाता कि अचानक हर चीज बाजार से क्यों गायब हो जाती है. और चीजों के गायब होते ही उनके दाम आसमान को छूने लगते हैं.
निर्यात करने के नियम होते है..जनता की जरूरत से ज्यादा खाद्य वस्तुओं का उत्पादन हो गया हो तो अतिरिक्त वस्तुओं के निर्यात की अनुमति मिल जाती है..मगर अभी कोई रोक टोक नहीं है..भारत मे आवश्यक वस्तु अधिनियम 1950 के तहत किसी भी वस्तु को जरूरत से ज्यादा खरीदकर गोदाम वगैरह मे छिपाकर रख देना “जमाखोरी” का अपराध माना जाता है…
इस दौर में आवश्यक वस्तु अधिनियम को अपाहिज कर दिया है..